Stray Dogs: सुप्रीम कोर्ट का फैसला से बदलने से आहत हैं लोग, शहर की गलियों में आवारा कुत्तों का आतंक
मऊ जिले में आवारा कुत्तों का आतंक व्याप्त है जिससे राहगीर परेशान हैं। शहर की गलियों में कुत्तों का कब्जा होने से बच्चों में भय है। एंटी रैबीज इंजेक्शन की व्यवस्था तो है पर नसबंदी और आश्रय की कोई सुविधा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लोगों में असुरक्षा की भावना है। जनता कुत्तों के आतंक से परेशान है जिसके निदान के लिए उचित कार्यवाही की आवश्यकता है।
जागरण संवाददाता, मऊ। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों की गलियों में आवारा कुत्तों का जाल फैला हुआ है। यह कब किसको अपना शिकार बना दें कहा नहीं जा सकता है। खासकर शहर की गलियों में यह कब्जा जमाए रहते है। इसकी वजह से कोई इधर से गुजरना उचित नहीं समझता है। यही नहीं बच्चों पर यह सीधे आक्रमण कर देते हैं। इसकी वजह से बच्चे हमेशा भयभीत रहते हैं।
शहर के सहातदपुरा, गाजीपुर तिराहा, कलेक्ट्रेट, ब्रह्मस्थान सहित कई क्षेत्रों में सुबह यह गलियों में लड़ते-झगड़ते देखे जा सकते हैं। इस दौरान अगर कोई इधर से गुजरा तो यह हमला कर देते हैं। यही नहीं कभी-कभार बाहरी व्यक्ति अगर इन गलियों से होकर गुजरा तो यह पीछे से हमला कर देते हैं। इसके बाद रैबीज इंजेक्शन लगवाना पड़ता है।
प्रशासन की तरफ से जिला अस्पताल सहित सभी सीएचसी पर एंटी रैबीज लगाने की व्यवस्था की गई है। यहां हर दिन भारी संख्या में लोगों को इंजेक्शन लगाया जाता है। यही नहीं आवारा कुत्तों के लिए नसबंदी की कोई व्यवस्था नहीं है। यही नहीं इन्हें रखने के लिए कोई शेल्टर नहीं बनाया गया है।
इसकी वजह से यह सड़कों व गलियों में उपद्रव करते रहते हैं। इसमें खूंखार कुत्तों की पहचान नहीं की जा सकती है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने केवल खूंखार कुत्तों की ही व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। वह अपने पूर्व के आदेश को बदल दिया है। इसकी वजह से आम आदमी अपने को असुरक्षित महसूस कर रहा है।
लोगों का कहना है कि अदालत को अपने पूर्व के फैसले को बदलना नहीं चाहिए था। इसके बदलने से आए दिन लोग आवारा कुत्तों का शिकार होते रहेंगे और इस पर नियंत्रण नहीं हो पाएगा। कुत्ता पालना कोई गुनाह नहीं हैं लेकिन नियम व कानून के दायरे में रखना जरूरी है। ताकि आस-पास के लोगों को इससे परेशानी न हो सके।
आवारा कुत्तों से आए दिन महिला, बुजुर्ग और बच्चे परेशान हैं। इनका कोई स्थायी समाधान जरूरी है। अदालत को इस पर कड़ी पहल करने की जरूरत है। - अरविंद कुमार, अधिवक्ता दीवानी
राहगीरों पर आवारा कुत्ते झपट्टा मारकर दौड़ा लेते हैं। कभी-कभी कई राहगीर काटने और गिरने से घायल हो जाते हैं। कोई बड़ी दुर्घटना भी घट सकती है। अदालत ने आदेश बदलकर आम आदमी के साथ इंसाफ नहीं किया है। - सावित्री, शिक्षक
पागल, खूंखार, आवारा व रैबीज युक्त कुत्तों को आम लोगों द्वारा पहचानना मुश्किल है। इसके लिए इनके पंजीकरण, टीकाकरण, और सेल्टर हाउस की व्यवस्था होनी चाहिए। यह हमेशा पीछे से हमला बोल देते हैं। इससे जनता परेशान रहती है। - डा. नम्रता श्रीवास्तव, होमियो पैथिक चिकित्सक सहादतपुरा।
गांवों, कस्बों, रास्तों और विद्यालयों के आसपास आवारा कुत्तों का घूमना रहना खतरनाक बनता जा रहा है। खासकर वर्तमान मौसम में इनके द्वारा लोगों के काटने की घटना बढ़ जाती हैं। इसके निदान की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही जिम्मेदार भी बनाना चाहिए। - विजय सिंह, प्रधानाचार्य रामस्वरूप भारती इंटर कालेज भींटी
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