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    Navratri 2025: आज से शारदीय नवरात्रि शुरू, कलश स्थापना के लिए क्या है शुभ मुहूर्त; यहां जानें

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 06:15 AM (IST)

    Shardiya Navratri 2025 | सनातनी परिवारों ने पितरों को विसर्जित कर शारदीय नवरात्रि की तैयारी शुरू कर दी है। मंदिरों को सजाया जा रहा है और बाजारों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं जो देश के लिए शुभ है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11.24 से 12.36 तक है।

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    शारदीय नवरात्र आज से शुरू, सजा देवी मां का दरबार।

    जागरण संवाददाता, मऊ। शहर से गांव तक सनानती परिवारों के लोग रविवार की सुबह पितृदेवों को श्रद्धा व परंपरा के अनुसार विसर्जित करने के साथ ही शारदीय नवरात्र में नौ दिन चलने वाली देवी मां की पूजा-अर्चना की तैयारियों में जुट गए। जगह-जगह देवी दुर्गा के मंदिरों को फूल मालाओं से सजाने का कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है।

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    शहर के शीतला माता मंदिर, मां मनोकामना देवी मंदिर, सिद्धेश्वरी मंदिर, गायत्री शक्तिपीठ, मां काली मंदिर, वनदेवी मंदिर, मां कोइल मर्याद भवानी मंदिर, सिद्धा अहिलासपुर स्थित मां शारदा मंदिर सहित विभिन्न देवी मंदिरों को सोमवार की सुबह श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन के लिए सजाने का सिलसिला रविवार की देर शाम तक चला।

    इधर, बाजार में श्रद्धालु भक्त माता के पूजन-अर्चन के लिए नारियल, चुनरी, पूजन सामग्री, कलश व फलाहार के लिए फल आदि की खरीदारी पूरे दिन करते रहे। दोपहर बाद से ही शहर सहित जनपद के प्रमुख बाजारों में लोगों की खरीदारी के लिए भीड़ उमड़ गई।

    शीतला माता मंदिर, वनदेवी धाम व कोइल मर्याद भवानी मंदिर में श्रद्धालुओं के सुरक्षा एवं दर्शन-पूजन के लिए मंदिर समिति व पुलिस-प्रशासन की ओर से कड़े इंतजाम किए गए हैं।

    इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह सेल्फी प्वाइंट आदि भी बनाए गए हैं। इसके अलावा दुर्गापूजा समितियों की ओर से युद्धस्तर पर जगह-जगह पूजा पंडाल बनाने का कार्य तेज कर दिया गया है।

    इस बार हाथी पर आएंगी देवी मां

    शारदीय नवरात्र में इस वर्ष माता रानी का आगमन हाथी पर बैठ कर हो रहा है। माता रानी का हाथी पर बैठ कर आना और हाथी पर ही बैठकर विदा होना देश के लिए शुभ माना जा रहा है। ब्रह्म शक्तिपीठ हिकमा कोपागंज से जुड़े ज्योतिषाचार्य पं.शिवानंद शास्त्री ने बताया कि देवी मां के हाथी पर सवार होकर आने का मतलब है कि देश में आर्थिक मजबूती आएगी।

    देश धन-धान्य से भरपूर रहेगा। साथ-साथ मां का हाथी पर बैठ कर ही नवरात्र के दसवें दिन विदा होना भी देश की दशा के लिए शुभ साबित होगा। तिथियों के संयोग से इस बार नवरात्र नौ की बजाय 10 दिनों का हो रहा है।

    कलश स्थापना का मुहुर्त

    सुबह 11:24 से 12:36 तक कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहुर्त है। इसके अलावा नवरात्र के पहले दिन यानि सोमवार को सुबह से शाम तक सुविधानुसार किसी भी समय कलश स्थापित किया जा सकता है।