जैन समाज ने लिया सूक्ष्म अहिसा का संकल्प
जैन समाज के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर जयंती को जन्म कल्याणक बुधवार को मनाई गई। श्हर में रहने वाले जैन परिवारों ने अपने-अपने घरों में उनकी पूजा की तथा उनके द्वारा कहे गए अमृत वचनों को दोहराते हुए सूक्ष्म अहिसा के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।
जागरण संवाददाता, मऊ : जैन समाज के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर जयंती को जन्म कल्याणक बुधवार को मनाई गई। शहर में रहने वाले जैन परिवारों ने अपने-अपने घरों में उनकी पूजा की तथा उनके द्वारा कहे गए अमृत वचनों को दोहराते हुए सूक्ष्म अहिसा के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। इस दौरान लोगों ने अपने अंदर की एक बुराई का त्याग करने का भी संकल्प लिया। इसके बाद लोग भगवान महावीर की प्रतिमा के पास बैठ पूरे परिवार संग मंत्रों का जाप किया व विश्व कल्याण के लिए मन्नतें मांगी।
इस मौके पर सुरेंद्र जैन ने कहा कि भगवान महावीर ने बताया कि भगवान महावीर ने हमेशा ही जीवों को अहिसा और अपरिग्रह का संदेश दिया। महावीर के विचारों में जीवन रक्षा कर लेना मात्र अहिसा नहीं है, हम मन, वचन और कर्म से भी किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाएं, यह भी अहिसा है और इसका उलट हिसा है। यदि किसी को हमारी मदद की आवश्यकता है, हम मदद करने में सक्षम हैं, फिर भी हमने उसकी मदद नहीं की तो यह भी हिसा है। प्रकाश जैन ने बताया कि भगवान महावीर की वाणी के तीन आधारभूत मूल्य अहिसा, अपरिग्रह और अनेकांत हैं। ये युवाओं को आज की भागमभाग जिदगी में सुकून की राह दिखाते हैं। वे बताते हैं कि महावीर की अहिसा केवल शारीरिक या बाहरी न होकर मानसिक और भीतर के जीवन से भी जुड़ी है। दरअसल जहां से अन्य दर्शनों की अहिसा समाप्त होती है, वहीं से जैन दर्शन की अहिसा की शुरुआत होती है। उनके द्वारा मानव मात्र की एकता और समता के विचारों का प्रतिपादन उस दौर का बहुत ही क्रांतिकारी विचार था। बहुसंख्यक समाज के लिए कहीं ज्यादा उपयोगी और ग्राह्य भी। यही वजह है कि महावीर के विचारों को उस समय शासक वर्ग के साथ आम जनमानस में भी जगह मिली। इस मौके पर साकेत जैन, पंकज जैन, विमल कोठारी, दीपक जैल, दिलीप कुमार जैन, ताराचंद चौरड़िया, मोहन लाल जैन, विजय जैन आदि के परिवार उत्सव में शामिल थे।