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    Ghosi Lok Sabha Chunav Result 2024: घोसी लोकसभा में इन तीन वजहों से हारी NDA गठबंधन, ऐसा हुआ राजग का पतन

    मूल रूप से बलिया के निवासी बेंगलुरू में शिक्षण संस्थानों के संचालक राजीव राय सबसे पहले वर्ष 2014 में घोसी संसदीय क्षेत्र में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने आए। मोदी लहर में उन्हें करारी पराजय का सामना करना पड़ा। पराजय के बावजूद राजीव राय ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार क्षेत्र में बने रहे। उन्‍होंने सबके सुख-दुख में शामिल होना जारी रहा। इसी का परिणाम 2024 में आया।

    By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 05 Jun 2024 02:50 PM (IST)
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    बाएं से एनडीए प्रत्‍याशी अरविंद राजभर, सपा प्रत्‍याशी राजीव राय

     शैलेश अस्थाना, जागरण मऊ। घोसी संसदीय सीट पर आइएनडीआइए के सपा प्रत्याशी राजीव राय की जीत ने यह साबित किया कि जनता के बीच रहने, लोगों के सुख-दुख में शामिल होने और मिलते-जुलते रहने वाला नेता ही लोगों की पसंद है, बाकी सभी मुद्दे गौण हैं। राजीव राय की जीत में जहां उनकी व्यवहार कुशलता, सक्रियता तो है ही, एनडीए के घटक सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर की लगातार बदजुबानी, उनका बड़बोलापन भी कारण बना।

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    परंपरागत भाजपा मतदाताओं की नाराजगी ने उन्हें पाला बदलने को विवश कर दिया। तीसरा सबसे कारण रहा छठें चरण से चुनावी वातावरण में घुसा ‘आरक्षण खतरे में है’ व ‘संविधान बदल दिया जाएगा’ का मुद्दा। इस मुद्दे ने बसपा के मतदाताओं में विचलन पैदा किया और बाबा साहब का संविधान बचाने के लिए दलित समुदाय के वोट सपा की ओर चले गए।

    हालत यह कि 2019 की विजेता, 2014 की उपविजेता रही बहुजन समाज पार्टी इस चुनाव में तीसरे स्थान पर चली गई और अब तक के इतिहास में सबसे कम वोट प्राप्त हुए। मूल रूप से बलिया के निवासी, बेंगलुरू में शिक्षण संस्थानों के संचालक राजीव राय सबसे पहले वर्ष 2014 में घोसी संसदीय क्षेत्र में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने आए।

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    मोदी लहर में उन्हें करारी पराजय का सामना करना पड़ा और वे चौथे स्थान पर रहे। पराजय के बावजूद राजीव राय ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार क्षेत्र में बने रहे। लोगों के यहां आना-जाना, सबके सुख-दुख में शामिल होना जारी रहा। वह अगले लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारी में लगे रहे, लेकिन सपा-बसपा गठबंधन के चलते पिछले चुनाव में यह सीट बसपा के कोटे में चली गई और वह चुनाव लड़ने से वंचित रह गए।

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    बसपा के टिकट पर अतुल कुमार सिंह राय चुनाव जीत गए। उनका पूरा पांच साल जेल में ही बीत गया। इधर, राजीव राय कोरोना महामारी काल से लगायत सामान्य दिनों में भी क्षेत्रवासियों की सेवा और संपर्क में बने रहे। इसी बीच मेलेशिया में फंसे राजभर समुदाय के सात युवकों को उन्होंने अपने संपर्क के बल पर वहां से निकलवाया और अपने खर्चे पर स्वदेश ले आए।

    कई गरीब परिवारों को गोद लेकर उनके भरण-पोषण की व्यवस्था कराई। इस बार फिर राजीव राय को चुनाव लड़ने का मौका मिला। कर्म के साथ भाग्य ने साथ दिया और सारे समीकरण उनके पक्ष में बैठते चले गए।