मऊ में सादे कागज पर हस्ताक्षर करा दूसरे के नाम पर लिया लोन, अब धमका रहे
हलधरपुर क्षेत्र के इसहाकपुर गांव में परमहंस नामक व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। आरोप है कि सादे कागज पर हस्ताक्षर कराकर उनके नाम पर लोन लिया गया और पैसे जमा करने के लिए धमकाया जा रहा है। न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने बैंक कर्मचारियों और ब्रोकर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

जागरण संवाददाता, थलईपुर (मऊ)। हलधरपुर क्षेत्र के इसहाकपुर गांव के निवासी परमहंस के साथ एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। पीड़ित ने आरोप लगाया है कि उसके सादे कागज पर हस्ताक्षर कराकर उसके नाम पर लोन लिया गया और अब उसे पैसे जमा करने के लिए धमकाया जा रहा है।
इस मामले में न्यायालय के आदेश पर हलधरपुर पुलिस ने सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड भीटी के दो अज्ञात कर्मचारियों और ब्रोकर वीरेंद्र पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
परमहंस ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में वाद दाखिल करते हुए बताया कि वर्ष 2016 में वह सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड भीटी में व्यावसायिक ऋण लेने के लिए गए थे। वहां उनकी मुलाकात कोपागंज थाने के सहरोज गांव निवासी वीरेंद्र पांडेय से हुई।
वीरेंद्र ने उन्हें तत्कालीन बैंक प्रबंधक और फील्ड अफसर से मिलवाया। इसके बाद परमहंस से सादे कागज पर हस्ताक्षर कराए गए और लोन देने की बात तय हुई। इस प्रक्रिया के दौरान मार्जिन मनी के नाम पर 50,000 रुपये भी जमा कराए गए, लेकिन उन्हें लोन का एक भी पैसा नहीं मिला।
कुछ माह पूर्व, बैंक के फील्ड अफसर और अमीन उनके घर आए और धमकाते हुए लोन का पैसा जमा करने की बात कही। इस धमकी के बाद परमहंस को धोखाधड़ी का एहसास हुआ। उन्होंने तुरंत न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए अज्ञात प्रबंधक, ऋण मैनेजर और वीरेंद्र पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
यह मामला न केवल व्यक्तिगत धोखाधड़ी का है, बल्कि यह बैंकिंग प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को भी उजागर करता है। ऐसे मामलों में पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपियों की तलाश जारी है।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आम नागरिकों को अपनी वित्तीय सुरक्षा के प्रति सतर्क रहना चाहिए और किसी भी प्रकार के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई होने से उम्मीद है कि पीड़ित को न्याय मिलेगा और दोषियों को सजा मिलेगी। इस प्रकार की घटनाएं समाज में विश्वास को कमजोर करती हैं और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
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