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    एक सीमा तक ही उचित है बच्चों से अपेक्षाएं

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 03 Oct 2018 11:00 PM (IST)

    माता-पिता को समझाना होगा कि सफलता का आधार केवल सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त करना नहीं बल्कि जीवन में सफलता के लिए हर पल सीखने की उम्मीद रखनी चाहिए। अपनी मेहनत ईमानदारी के बल पर बच्चे अपने जीवन में सफलताओं के कदम चूमते हैं।

    एक सीमा तक ही उचित है बच्चों से अपेक्षाएं

    माता-पिता का बच्चों से अपेक्षाएं करना काफी हद तक उचित भी है। वह बच्चों की परवरिश भी जी जान से करते हैं। खुद के लिए न करके बच्चों के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर देते हैं। उन्हें पर्याप्त संसाधन के लिए कार्य करते रहें। अपेक्षाएं एक हद तक ही हों तो ठीक है। ज्यादा टीवी, मोबाइल, इंटनरेट का अधिक उपयोग हानिकारक साबित हो रहा है। बच्चा जैसा अपने आसपास देखेगा, करता चला जाएगा। कोई कला अच्छी बनाता है तो कोई किसी में नेतृत्व का गुण है। बच्चों की क्षमता, नैसर्गिक प्रतिभा को देखते हुए ही उनसे अपेक्षाएं की जानी चाहिए। हमारा बच्चा कहां तक प्राप्त कर सकता है, इसे माता-पिता बखूबी जानते हैं।

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    -किरन ¨सह, प्रधानाचार्य, एंजल्स लर्निंग गार्डेन स्कूल, मऊ।

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    अपेक्षा शब्द का अर्थ किसी से आशा करना, उम्मीद करना अथवा तुलना करता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। हर नाते रिश्ते में एक दूसरे से अपेक्षा जुड़ी हुई हैं। माता-पिता को बच्चों से, बच्चों को माता-पिता से, बहन को भाई और बहन को भाई से, इसी तरह शिक्षक-शिक्षिकाओं को बच्चों और बच्चों को शिक्षक-शिक्षिकाओं से अपेक्षाएं होती हैं। विभिन्न प्रकार की अपेक्षाएं हैं। आज सोचना होगा क्या ज्यादा अपेक्षाएं रखना उचित है। साधारणतया देखने में आता है कि अपेक्षाएं दूसरों को थोपी जाती हैं। खुद की बारी आने पर क्या दूसरों की अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं। यदि उत्तर हां में आता है तो आपको भी अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा।

    -एसके मिश्रा, ¨प्रसिपल, ¨कग्सटन इंटरनेशनल स्कूल, गालिबपुर, मुहम्मदाबाद गोहना।

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    आज के बदले परिवेश में जब संयुक्त परिवार टूटकर एकल परिवार में बदल रहे हैं। इनके पीछे भी कहीं न कहीं बहुत बड़ा कारण अपेक्षाएं हैं। अधिक अपेक्षाएं एक दूसरे पर रहने के कारण भी इनका विघटन हुआ है। इसके परिणाम स्वरूप है। बच्चे दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ आदि अनेक महत्वपूर्ण रिश्तों के प्यार से वंचित रह रहे हैं। धन कभी किसी भी प्रतिभा को उभारने में आड़े नहीं आता। प्रतिभा निखारने के लिए उचित वातावरण देने की आवश्यकता होती है। बच्चों के भीतर छिपी प्रतिभा के हिसाब से ही उसे आगे बढ़ने को प्रेरित किया जाए। उसकी काबिलियत पहचानकर ही उससे अपेक्षाएं करें तो पूरी हो सकती हैं। इसी में सबको खुशी मिलेगी।

    -विक्रम चौहान, प्रबंधक, इंद्रमोहन चौहान मेमोरियल पॉलिटेक्निक कालेज, टड़वा चौबेपुर, मऊ।

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    माता-पिता को समझाना होगा कि सफलता का आधार केवल सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त करना नहीं बल्कि जीवन में सफलता के लिए हर पल सीखने की उम्मीद रखनी चाहिए। अपनी मेहनत ईमानदारी के बल पर बच्चे अपने जीवन में सफलताओं के कदम चूमते हैं। जो हर माता-पिता की अपेक्षा होती है। अधिक अपेक्षाएं रखने पर लाभकारी परिणाम कम और हानिकारक परिणाम अधिक प्राप्त होते हैं। कभी-कभी बच्चे माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करने में सारी ऊर्जा लगा देते हैं। अपेक्षाओं के विपरीत नकारात्मक परिणाम प्राप्त प्राप्त होने पर घोर निराशा में बच्चा डूबता जाता है। हमें अपनी अपेक्षाओं की सीखा को निर्धारित रखनी चाहिए। अपेक्षाएं सुखदायी होंगी तो बच्चा सफलता की अग्रसर रहेगा।

    -डा. प्रतिष्ठा ¨सह, ¨प्रसिपल, आइडियल किड्स गुरुकुल, नि•ामुद्दीनपुरा, मऊ।