सरसों व तोरिया की खेती किसानों को देगी भरपूर लाभ
जागरण संवाददाता मऊ वर्तमान में मीठा तेल का दाम आसमान छू रहा है। किसान तोरिया व सरसों

जागरण संवाददाता, मऊ : वर्तमान में मीठा तेल का दाम आसमान छू रहा है। किसान तोरिया व सरसों की खेती से मुंह मोड़ते जा रहे हैं। अगर अधिक से अधिक किसान सरसों बोएं तो इससे काफी लाभ कमाया जा सकता है। इसके अलावा तेल की बढ़ रही कीमत पर भी लगाम लग सकता है। तोरिया या सरसों एक तिलहनी फसल है। इसे सितंबर के प्रथम सप्ताह में बोआई करके 90 दिन बाद यानी नवंबर में कटाई कर तुरंत गेहूं की बोआई की जा सकती है। यह जानकारी आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र पिलखी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. एलसी वर्मा ने दी।
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि तोरिया खरीफ और रबी के मौसम के बीच में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहनी फसल है। तोरिया की कुछ किस्में 85 से 90 दिन में पक कर तैयार हो जाती हैं। जो खेत अगस्त के आखिर में ज्वार, बाजरा आदि चारे वाली फसलों के व सब्जियों के बाद खाली हो जाते हैं उसमें तोरिया की बोआई करके खाली खेत का उपयोग करें। साथ ही तोरिया की समय से कटाई करके गेहूं की बुवाई कर सकते हैं। तोरिया की प्रजाति टी-9, भवानी, पीटी 303, पीटी 30 एवं तपेश्वरी प्रचलित प्रजाति है। तोरिया या सरसों का बीज चार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई करें तथा बीज शोधन के लिए 2.5 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम की दर से बीज को उपचारित करें। इसमें उर्वरकों की मात्रा असिचित दशा में 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 किलोग्राम फास्फेट तथा 30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। सिचित दशा में 80 से 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फेट, 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए। सल्फर के प्रयोग से बढ़ सकेगी तेल की गुणवत्ता
फसल में बोआई से पहले गोबर की कंपोस्ट खाद 40 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा समय से सल्फर का प्रयोग करने से तेल की गुणवत्ता बढ़ जाती है। किसी प्रकार की कोई समस्या के निदान हेतु कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा अंगद प्रसाद से इस 9450971277 मोबाइल पर सलाह प्राप्त की जा सकती है।
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