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    'अयोध्या न कभी पराधीन हुई न ही चित्तौड़', ब्रजभूषण बोले- यहां के राजाओं ने कभी नहीं मानी हार

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 03:25 PM (IST)

    भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने अयोध्या और चित्तौड़ के इतिहास को गौरवशाली बताया। उन्होंने कहा कि इन शहरों के राजाओं ने कभी भी हार नहीं मानी और हमेशा अपनी भूमि की रक्षा के लिए संघर्ष किया। बृजभूषण ने अयोध्या और चित्तौड़ को वीरता और स्वतंत्रता का प्रतीक बताया।

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    महाराणा प्रताप के प्रतिमा के अनावरण में बृजभूषण शरण सिंह ने लिया हिस्सा।

    जागरण संवाददाता, अदरी (मऊ)। कभी अयोध्या पराधीन न हुई और न ही चित्तौड़। क्योंकि यहां के पराक्रमी राजाओं ने कभी भी हार नहीं माना। महाराणा प्रताप की जड़ें अयोध्या से मिलती हैं, वे भगवान राम को मानने वाले थे। ये बातें रविवार को महुआर बसगितिया स्थित पवहारी जी के मंदिर पर महाराणा प्रताप के प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहीं।

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    उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के शौर्यगाथा को देश के बच्चे-बच्चे को जानना चाहिए। महाराणा प्रताप देश के ऐसे प्रतापी योद्धा थे, जिन्होंने सूखी घास की रोटियां खा कर भी अपने राज्य की आन, बान व शान के लिए लगातार लड़ते रहे। इस विषम परिस्थिति में भी उन्होंने हार नहीं माना।

    उन्होंने कविता के माध्यम से उनके वंसजों को जगाने व उनके प्रतापी इतिहास को बताते हुए सभी के लिए एक सवाल छोड़ गए। कहा कि हम कौन थे, क्या हो गए, क्या होगे, अभी आओ मिलकर के विचारें समस्या सभी, यद्यपि हमें इतिहास प्राप्त पूरा है, नहीं फिर भी हम कौन थे ये भी अधूरा है, नहीं कहा हम सतयुग में भी थे, त्रेता में भी, द्वापर में भी और कलयुग में भी है।

    कहा कि हम सभी के लिए यह एक सवाल है कि क्या महाराणा प्रताप अपना घोड़ा स्वयं खिलाते थे, क्या अपनी तलवार खुद बनाते थे, क्या अपना भोजन खुद बनाते थे ? इस पर सभी को विचार करना होगा। महाराणा प्रताप हमारे अगुआ थे, एक कुशल योद्धा थे, लेकिन भगवान राम हमारे आदर्श है।

    विधान परिषद सदस्य देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप ने कभी मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। कई सालों तक संघर्ष किया। घास की रोटियां तक खानी पड़ी। फिर भी बादशाह अकबर महाराणा प्रताप सिंह को अपने अधीन नहीं कर सका।

    विधायक सुधाकर सिंह ने कहा कि मेवाड़ में सिसौदिया राजवंश के महाराणा उदयसिंह के सुपुत्र महाराणा प्रताप सिंह को इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम व दृढ़ संकल्प के लिए वीर शिरोमणि के रूप में जाना जाता हैं।

    इस दौरान बांसडीह विधायक केतकी सिंह, पुनीत सिंह, नुपूर अग्रवाल, सुजीत सिंह, अनूप सिंह, रितेश सिंह, शशि सिंह, आशीष सिंह, धर्मेंद्र सिंह, दिवाकर सिंह, शेरू सिंह, अभिषेक पांडेय, रामसुधार पांडेय आदि मौजूद थे।