'हे द्वीप-द्वीप के राजागण, हम किसे कहें बलशाली'
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बोझी (मऊ) : अमिला कस्बा स्थित श्री ठाकुर द्वारा रामलीला समिति के तत्वावधान में गुरुवार को सीता स्वयंवर में धनुष टूटते ही श्रीराम के जयकारे व हर हर महादेव के साथ सारा वातावरण गूंज उठा। श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का सजे भव्य रथ का नगर भ्रमण के दौरान पूरे नगर क्षेत्र में श्रद्धालु भक्तों ने श्रद्धा के साथ आरती उतारी व पूजन किया। रथ के रामलीला मंच पर पहुंचने के साथ धनुष यज्ञ प्रारम्भ हुआ।
इसके पूर्व अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पास मुनि विश्वामित्र जाते हैं। राम लक्ष्मण दोनों भाइयों को राक्षसों का उत्पात रोकने के लिए अपने साथ ले जाने के लिए कहते हैं। राजा के इंकार करने पर क्रोधित हो जाते हैं। ऋषि वशिष्ठ मुनि राजा को समझाते हैं तब राजा दशरथ राम व लक्ष्मण को सौंपते हैं।
रास्ते में राम द्वारा अहिल्या का उद्धार व ताड़का वध करते हैं। जनक के इस शर्त के साथ कि जो शिव धनुष को तोड़ेगा उसी के साथ पुत्री सीता का विवाह करेंगे, धनुष यज्ञ व सीता स्वयंवर का आयोजन होता है। लोक परलोक से देवता भी मनुष्य रूप में शिरकत करते हैं। धनुष तोड़ने में सभी उपस्थित राजाओं के असफल होने पर राजा जनक व्याकुल हो उठते हैं। कहते हैं हे द्वीप-द्वीप के राजा गण हम किसे कहें बलशाली। हमको तो प्रतीत यह होता है कि पृथ्वी वीरों से है खाली। राजा की व्याकुलता देख विश्वामित्र मुनि राम को धनुष तोड़ने का आदेश देते हैं। क्षण भर में श्रीराम शिव की आराधना कर धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाकर तोड़ देते हैं। शिव धनुष टूटते ही पूरा वातावरण हर हर महादेव व श्रीराम के जयकारे से गूंज उठा। तत्पश्चात परशुराम लक्ष्मण संवाद होता है।
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