लाशों को रौंदा गया, अब्बास न आए
घोसी (मऊ): 'खेमों को जलाया गया अब्बास न आये, मकतल में धुंआ छा गया, अब्बास न आये। मकतल की जमीं दर जो सितारों की तरह थी, वो लाश जो कुरान के पारो की तरह थी, उन लाशों को रौंदा गया, अब्बास न आये॥' बड़ागांव में 13 सफर रविवार की रात यह नौहा करबला की एकतरफा जंग और जनाब इमाम हुसैन के कुनबे की शहादत को तरोताजा कर गया। खास यह कि कम उम्र नौहाखां का अंदाजे बयान ऐसा कि बड़ों की आंखों से आंसू छलक उठे।
नगर के बड़ागांव में अजाखाना अब्बासी बीबी के सहन में रविवार की रात शहादते मासूम हजरत अली असगर की शान में आयोजित इस शब्बेदारी में मुकामी अंजुमन के साहिबे ब्याज मोहम्मद रजा ने इस नौहा के बाद दर्द की चाशनी में लिपटे कुछ ऐसे ही नौहा पेश कर साबित किया कि 'इस्लाम जिंदा होता है हर करबला के बाद'। बच्चों की हौसला आफजाई करते हुए डा. जेडएच रिजवी ने जब नौहा 'या जहरा या जहरा, ऐ मेरी बीबी तेरे दर पे इस्तेगासा है, तेरा ममनून मेरी शहजादी जहां ये सारा है।' पढ़ा तो फिर बच्चों ने पुरखलूस अंदाज में नौहा पेश किया। मुबारकपुर की अंजूमन कारवां-ए-हैदरी, पुरा मारुफ की गुलजारे हुसैनी, कोपागंज की जाफरिया एवं अबुल फजलील अब्बास ने भी नौहा पेश कर मातम किया।
इस शब्बेदारी का एहतेमाम मोहम्मद अब्बास शमसी, अली असगर, मुंतजीर अब्बास, मोहम्मद हाशिम, जैगम सईद, रिजवान अस्करी, मोहम्मद हसनैन एवं मोहम्मद तालिब आदि ने किया।
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