कलियुग केवल नाम अधारा
घोसी (मऊ): 'कलियुग केवल हरि गुन गाहा, गावत नर पारहिं भवतारा। कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिरि-सुमिरि नर उतरहीं पारा॥' इस कलियुग में परमपिता परमेश्वर अजन्मा जगनियंता दशरथ नंदन प्रभु श्रीराम की भक्ति बेहद सरल एवं साध्य है। प्रभु नाम के स्मरण मात्र से ही हर सांसारिक बाधा से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
स्थानीय नगर के जूनियर हाईस्कूल प्रांगण में धर्म चेतना समिति के तत्वाधान में आयोजित मानस नवाह्न पाठ एवं प्रवचन की प्रथम संध्या गुरुवार को मामाजी के कृपापात्र पं.विजय नारायण शरण ने रामनाम एवं रामकथा की महत्ता बताई। उन्होंने इस कथा का वाचन एवं श्रवण अनादि काल से अब तक किये जाने के बावजूद नित नयी अनुभूति का मार्मिक व्याख्या किया। कहा कि 'रामचरित जे सुनत अघाहीं, रस विशेष ते जानत नाहीं।' देवाधिदेव भोले शंकर के कथन 'उमा कहहूं मैं अनुभव अपना, सत हरिभजन जगत सब सपना।' की भावनात्मक व्याख्या करते हुए कहा कि इस मृत्युलोक में कुछ श्रवणीय एवं कथनीय है तो बस रामकथा। इससे इतर बस व्यथा है जो वृथा यानी झूठा है। उन्होंने राजमहल में पली राणा सांगा की बहू एवं कुंवर भोज की पत्नी प्रभु की भक्ति के भावों 'पायो जी मैंने रामरतन धन पायो' के माध्यम से इस दुनिया का श्रेष्ठ धन प्रभु की भक्ति बताया। सनातन धर्म के हर ग्रंथ पुराण,वेद, श्रीमद्भागवत एवं गीता आदि का सार तत्व प्रस्तुत करते हुए कहा कि हरिनाम ही एकमात्र सत्य है।
गुरुवर तुम्हीं संभालो
घोसी : 'गुरुवर तुम्हीं संभालो, बिगड़ी दशा हमारी, स्वामी तुम्हीं हो मेरे।' भजन नगर के जूनियर हाईस्कूल में प्रवचन पूर्व प्रस्तुत करते हुए बलिया के भजन गायक लालजी ने समूचे वातावरण को अपने अलाप के माध्यम से भक्तिमय बना दिया। ढोलक पर तेजनारायण, जोड़ी पर कुश एवं बलराम रहे जबकि संचालन एवं आचार्यत्व का दायित्व रामदास श्रीवैष्णव विनय ने निर्वहन किया।
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