12000 रुपये में कैसे बनेगा शौचालय
नौसेमरघाट (मऊ) : गांव को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार जहां स्वस्थ भारत स्वच्छ भार ...और पढ़ें

नौसेमरघाट (मऊ) : गांव को खुले में शौच से मुक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार जहां स्वस्थ भारत स्वच्छ भारत अभियान चला रही हैं, वहीं सरकारी योजना के जरिए शौचालय बनाने के लिए जो रकम दी जा रही है वह इतनी कम है कि उसमें शौचालय का निर्माण हो पाना बेहद मुश्किल है। बाजार में गिट्टी और बालू का दाम आसमान पर है। वहीं ईंट भट्ठे से ईंट लाने में भी ग्रामीणों को नाकों चने चबाना पड़ रहा है। ग्रामीण भी मुश्किल मे हैं कि आखिर 12000 रुपये में कैसे शौचालय बन पाएगा। इसके चलते मठमुहम्मदपुर समेत दर्जनों गांवों में लाभार्थियों के शौचालय का निर्माण अधूरा पड़ा है।
कोपागंज विकास खंड में उन परिवारों में शौचालय का निर्माण किया जाना है, जहां अब तक शौचालय नहीं है। गांवों को ओडीएफ बनाने के दिशा में सरकार के इस कदम की जितनी भी सराहना की जाए वह कम है लेकिन दी जा रही धनराशि इतनी कम है कि ग्रामीणों का दिमाग चकराने लग रहा है। ऐसे मेहनतकश परिवार जो दो वक्त की रोटी ही मुश्किल से कमाते हों वे 12 हजार रुपये में आखिर कैसे शौचालय बनवाएंगे। जरा सोचिए एक शौचालय बनवाने के लिए 800 ईंट, सात वर्ग फुट गिट्टी, तीन बोरी सीमेंट, सीट, नल-टंकी, दो गड्ढों की खोदाई, छड़, बालू, दरवाजा व गमला की न्यूनतम आवश्यकता है। इन सब पर 1500 रुपये मजदूरी तय है। खनन पर प्रतिबंध लगने के बाद सफेद बालू 2800 रुपये से 3500 रुपये ट्राली बिक रहा है। वहीं लाल बालू 5300 रुपये से 5600 रुपये तक बिक रहा है। सरकार से केवल 12000 रुपया मिल रहा है। इस पैसे से केवल वही परिवार शौचालय निर्माण करा सकता है जिसके पास स्वयं इस पैसे के मिलने के बाद पैसा लगाने की व्यवस्था हो।
इनसेट--
शासन से केवल 12000 रुपये ही स्वीकृत किया जा रहा है तो इसके लिए हम क्या कर सकते हैं। ग्रामीणों को इसे सरकार का सहयोग मानकर स्वयं से कुछ पैसा मिलाकर शौचालय निर्माण में आगे आना चाहिए।
- शेषदेव पांडेय, जिला पंचायत राज अधिकारी, मऊ।

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