मौलाना अमजद अली की मजार पर जुटे जायरीन
घोसी (मऊ) : नगर के हजरत सदरूशरिया मौलाना अमजद अली के दो दिनी उर्स के अंतिक दिन शनिवार की दोपहर बाद क
घोसी (मऊ) : नगर के हजरत सदरूशरिया मौलाना अमजद अली के दो दिनी उर्स के अंतिक दिन शनिवार की दोपहर बाद कादरी मंजिल से जुलूस-ए-चाद निकला तो मात्र उनके शागिर्द ही नहीं जारीन के रूप में हजारों की भीड़ उमड़ी।
शुक्रवार की शाम मदरसा तैबतुल ओलमा अमजदिया रिजविया की सहन में रात नौ बजे जलसा व तकरीर ओलमा-ए-कराम के साथ उर्स का आगाज हुआ। शनिवार की सुबह साढे पांच बजे मजारे सदरूशरिया पर कुरानखानी हुई। दोपहर बाद साढ़े तीन बजे कादरी मंजिल से जुलूस निकला। जुलूस के मजार शरीफ पहुंचने के बाद फातिहा पढ़ा गया। उर्स में फैज हासिल करने को मुल्क एवं गैर मुल्क से तमाम अकीदतमंद उपस्थित रहे। उधर जलसा को खेताब करते हुए सच्जादानशसीं अल्लामा जियाउल मुस्तफा कादरी ने कहा कि हुजूर सदरूशरिया मदीनतुल उलेमा यानी आलिमों के शहर घोसी की शान थे तो पूरी दुनिया में उनकी अलग पहचान रही। वह हकीम होने के साथ ही आला दर्जे के लेखक भी रहे। उनकी किताब 'फतावा अमजदिया' और 'हाशिया शरहे मानी आसार' पूरी दुनिया के लिए मशअले राह है। इनकी लिखी किताबों पर आज भी चर्चा होती है और दुनिया की हर लाइब्रेरी में अहम मुकाम दिया जाता है। मौलाना अनीस आलम, मौलाना शफीकुल्लाह चतुर्वेदी, ¨प्रसीपल मौलाना जमाल मुस्तफा कादरी, मौलाना फिदाउल मुस्तफा कादरी, मौलाना अबुल यूसुफ असहदी, मौलाना अबुल हसन, मौलाना मुहम्मद सिद्दीक, कारी आलम जमाल, मौलाना शमशाद और मौलाना अब्दुल रहमान आदि ने भी खेताब किया। मदरसा के नाजिम मौलाना अलाउल मुस्तफा कादरी ने शनिवार की रात दस्तारे फजीलत एवं रात 12 बजे के बाद कुल शरीफ आयोजित होने की बात कही है।