इमामबाड़ा पर लगे अलम और काले झंडा
घोसी (मऊ) : जिलहिज माह की 29 तारीख यानी सोमवार को चांद न दिखा। ऐसे में मंगलवार को चांद रात होनी तय होते ही अलसुबह सदर इमामबाड़ा पर अलम लग गए। करबला पर काले झंडे लगाए दिए गए। शाम को जुलूस निकाल इमाम हुसैन के बंदों ने इस माह का इस्तकबाल किया। इसके साथ ही नगर के बड़ागांव में मजलिस एवं जुलूसों का दौर शुरू हो गया है।
चांद रात होते ही महिलाओं ने चूड़ी फोड़ दी। खुशी की हर निशानी दूर हो गयी। सभी ने रंग-बिरंगे वस्त्र उतार काला लिबास पहन लिया। घरों पर काले झंडे लग गये हैं। बड़ागांव की अंजुमन दस्त-ए-मासूमिया कदीम, अंजुमन सच्चादिया एवं अजुमन मासूमिया कदीम रजिस्टर्ड ने मुहर्रम के इस्तकबाल में जुलूस निकाला। यह जुलूस अजाखाना जैनबिया से निकला एवं सदर इमामबाड़ा पर तमाम हुआ। जुलूस के दरम्यान अंजुमनों ने दिलसोज नौहा पढ़ा तो गम के समुंदर में मानों तूफान आ गया। करबला का मंजर पेश किया। माहे अजा के सिलसिले में जेरे अहतेमाम अंजुमनों का अलमे मुबारक जुलूस बरमकाम इमामबाड़ा चला तो 'हाय हुसैन की सदा' गूंजती रही। बुधवार को मुहर्रम के पहले दिन से ही मगरीब की नमाज के बाद मजलिस एवं जुलूसों का दौर रहेगा। खास यह कि मुहर्रम में खवातिन अलग मजलिस कर इमाम हुसैन की शहादत को याद करती हैं।
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