क्या है गरीबी रेखा निर्धारण का आधार
घोसी (मऊ) : पतिराम, जयप्रकाश, जीतलाल, तिलकधारी, लालचंद, हरिलाल, अतवारु, अर्जुन एवं सरवन। यह सभी बड़रांव ब्लाक के ग्राम जमालपुर विक्कमपुर के अनुसूचित जाति के नागरिक है। गरीबी से जूझते इन ग्रामीणों को न तो इंदिरा आवास मिल सकता है ना गरीबेां हेतु संचालित शासन की अन्य किसी योजना का लाभ मिल सकता है। इन सभी के घर जमींदोज हो चुके है या गिरने की कगार पर है। इनकी कूवत नहीं कि गिरे घर पर कटरैन ही डाल सकें। पर प्रशासन की नजर में यह सभी अमीर है। तभी तो इनका नाम बीपीएल सूची में दर्ज नहीं है। ऐसे में सवाल यह कि आखिर क्या है गरीबी रेखा के निर्धारण का आधार।
वर्ष 01 में शासन के दिशा निर्देशों के अनुसार सर्वेक्षण कर गरीबी रेखा के नीचे एवं ऊपर के परिवारों की सूची बनी। यह रेखा कहीं भी सीधी और सपाट नजर नहीं आती है। कहीं किसी अमीर की छत के ऊपर से गुजरती है तो कहीं किसी गरीब के झोपड़ा की नींव के नीचे से सरपट दौड़ जाती है। कार एवं आलीशान भवन में रहने वाले इस सूची में दर्ज है तो दो जून की रोटी की बमुश्किल जुगाड़ करने वालों को सर्वेक्षण के दौरान अमीर मान लिया गया। इस सूची में नाम होने पर ही गरीबों हेतु संचालित शासकीय योजनाओं का लाभ पाने की अनिवार्यता ने इन गरीबों से इनका हक छिन लिया है। एक विडम्बना यह कि अब इस सूची को कभी तैयार करने वाले कर्मचारी इस सूची में दर्ज तमाम नामों को स्वयं ही अपात्र घोषित कर रहे है।
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बीपीएल में नहीं तो स्थायी सूची में कैसे
बीपीएल सूची में से बेहद गरीब एवं आवासहीन व्यक्तियों का नाम संकलित कर बीपीएल स्थायी सूची बनायी गयी। इस सूची में दर्ज व्यक्तियों को ही आवासीय योजनाओं का लाभ दिया जाता है। ऐसे में जिन गरीबों का नाम बीपीएल सूची में ही नहीं, उनका नाम स्थायी सूची में दर्ज होने का सवाल ही नहीं।
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