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दोहरीघाट पंप कैनाल का नाम बदला, सूरत नहीं

By Edited By: Published: Sun, 19 May 2013 06:40 PM (IST)Updated: Sun, 19 May 2013 06:41 PM (IST)
दोहरीघाट पंप कैनाल का नाम बदला, सूरत नहीं

दोहरीघाट (मऊ) : एशिया की दूसरे नंबर पर सबसे बड़ी नहर दोहरीघाट का नाम तो सपा सरकार ने बदलकर चौधरी चरण सिंह पंप नहर कर दिया लेकिन सूरत नहीं बदल सकी। किसानों के लिए वरदान नहर अब अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है। राजनेताओं के नाम बदलने के साथ ही किसानों के हितों के लिए पंप नहर की सूरत भी बदलनी चाहिए लेकिन ऐसा प्रयास नहीं हो रहा। पंप नहर का विस्तार लगभग 350 किलोमीटर के दायरे में हैं। मऊ, बलिया जनपद के किसानों सिंचाई सुविधा समय से न मिलने से उनका मोह भंग हो रहा है।

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निजी नलकूपों के सहारे क्षेत्र के किसान सिंचाई करने को विवश हैं। छोटे-बड़े 55 माइनरों द्वारा पूर्वाचल की धरती शस्य श्यामला होकर सूखा, बाढ़ के समय भी किसानों की आशाओं पर खरा उतरती थी। पंप कैनाल का निर्माण कराने वाले तत्कालीन सिंचाई मंत्री पं. कमलापति त्रिपाठी की सोच पूर्वाचल के किसानों का उत्थान करना था। उन्होंने खेतों को सिंचाई सुविधा देकर आर्थिक स्थिति को भी मजबूती दी। प्रथम पंचवर्षीय योजना अंतर्गत निर्मित पंप नहर की हालत जर्जर स्थिति में है जगह-जगह पानी का रिसाव जारी है। यदि यही स्थिति कायम रही तो टेल तक पानी पहुंचना नामुमकिन है। सिंचाई विभाग सफाई, मरम्मत के नाम पर हर वर्ष नहर को बंद कर फाइलों में सिमटा देता है।

नहर के माध्यम से सिंचाई किसानों के लिए सस्ती होती है। मुख्य नहर के 500 मीटर के दायरे में किसान नहर से किसी तरह सिंचाई कर लेते हैं परंतु जिस उद्देश्य से इसे निर्मित किया गया वह धरा का धरा रह गया। पक्की नहर ठाकुर गांव, बुढ़ावर, जमीरा, बसियाराम, और गोंठा गांव के समीप फटी है। जहां पर दीवालों में तनाव आ गई है तथा नहर फटी हुई है। अरचों के पास पानी का रिवास हो रहा है। बसियारामडीह स्थान के पास नहर कभी भी टूट सकती है क्योंकि अरचा के अंदर से निरंतर सोती बनकर पानी गिरता है। सिंचाई विभाग कभी भी स्थलीय निरीक्षण नहीं करता है। पानी गिरने से नहर कभी भी ध्वस्त हो सकती है जो पानी अरचा में गिरता है। वह नहर के नीव में जाकर नहर को कमजोर कर रहा है।

सिंचाई की क्षमता

पंप नहर की पानी देने की क्षमता 660 क्यूसेक थी जबकि 300 क्यूसेक भी पानी टेल तक पहुंचने में नहर असमर्थ है। पंप हाउस के सामने काफी सिल्ट जमा रहती है। क्षेत्रीय किसान जब धरना प्रदर्शन करते हैं तो उसे सिंचाई विभाग हटाने की जहमत उठाता है तब जाकर चैनल के माध्यम से पानी मिल पाता हे। पंप हाउस में मोटर नए लगे लेकिन पहले जैसे क्षमता नहीं है।

यह होना चाहिए

क्षेत्रीय किसान रामगोविंद राय, सुरेंद्र कुमार, रामकिशुन का मानना है कि जैसे इसका नाम बदला गया उसी तरह से सरकार इसके कायाकल्प के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करे ताकि किसानों का कल्याण हो सके। इसके रख-रखाव के प्रति सिंचाई विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठाता। इसे सरकार को संज्ञान में लेकर कोताई बरतने वालों पर सख्त कार्रवाई हो ताकि पंप नहर अपनी पूरी क्षमता से चले और किसानों को लाभ मिल सके।

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