Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शंकर प्रजातियों के बीज अपनाएं किसान

    By Edited By:
    Updated: Wed, 13 Feb 2013 08:15 PM (IST)

    घोसी (मऊ) : उर्वरकों की बढ़ती कीमत, महंगाई एवं श्रमिक समस्या के बीच मशीनों के अनिवार्य प्रयोग ने खेती की लागत में कई गुना वृद्धि कर दिया है। आवश्यक है कि अब किसान कम क्षेत्रफल में अधिक उत्पादन लें। इसके लिए एक ही विकल्प है शंकर प्रजाति का प्रयोग। जनसंख्या में हो रही वृद्धि के चलते भी सभी का पेट भरने के लिए अब अधिक उत्पादन आवश्यक है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जिला कृषि अधिकारी एनके त्रिपाठी शंकर प्रजाति के प्रयोग से सामान्य सर्वोत्तम प्रजाति से लगभग सवा गुना अधिक उत्पादन मिलने का दावा करते हैं। उन्होंने जापान एवं चीन सहित अन्य राष्ट्रों में शंकर प्रजाति की ही खेती किये जाने के चलते किसानों के आर्थिक हालात बेहतर होने की जानकारी दी। भारत में अभी महज 210-220 मिलियन टन ही वार्षिक अनाज उत्पादन का आंकड़ा देते हुए श्री त्रिपाठी ने वर्ष 2050 में संभावित जनसंख्या के लिए 400 मिलियन टन अनाज आवश्यक बताया। कहा कि जाहिर है कि तब तक खेती का क्षेत्रफल घटेगा। ऐसे में किसान शंकर प्रजातियों की खेती करके ही भूखमरी की स्थिति से निजात दिला सकते हैं। धान, सरसों एवं मक्का सहित अन्य फसलों की शंकर प्रजातियों के प्रोत्साहन हेतु कृषि विभाग बीज खरीद पर अन्य प्रजातियों की अपेक्षा अधिक अनुदान प्रदान करता है। उन्होंने भारत सहित समूची दुनिया में गेहूं की शंकर प्रजाति के लिए अनुसंधान किये जाने एवं दो-चार वर्ष में सफलता का दावा किया। बहरहाल श्री त्रिपाठी किसानों के बेहतर भविष्य का खाका खींचते हुए शंकर प्रजाति की खेती से आर्थिक हालत में सुधार की भविष्यवाणी करते हैं।

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

    comedy show banner