Yamuna: यमुना के बढ़ते जलस्तर को लेकर क्या है लेटेस्ट अपडेट? 23 दिन बाद देखने को मिला ये बदलाव
लगभग 23 दिनों तक खतरे के निशान से ऊपर बहने के बाद यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आ गया है जिससे घाटों पर राहत है। खादर में अभी भी पानी भरा हुआ है और प्रशासन राहत कार्य में जुटा है। यमुना का जलस्तर गिरने से बाढ़ पीड़ित राहत शिविरों से घरों की ओर लौटने लगे हैं।

जागरण संवाददाता, मथुरा। लगभग 23 दिन तक खतरे के निशान से ऊपर बहने के बाद यमुना शनिवार रात खतरे के निशान से नीचे उतर आईं। 21 अगस्त को यमुना ने 166 मीटर पार कर रौद्र रूप दिखाया और सात सितंबर को 2023 का 167.35 मीटर का रिकार्ड तोड़ दिया था। आठ सितंबर को यमुना सबसे शीर्ष जलस्तर 167.67 मीटर पर पहुंच गई थीं। उसके बाद से लगातार गिरावट हो रही है। खतरा के निशान से नीचे यमुना पहुंचने के बाद घाटों पर अब राहत दिखाई देने लगी है।
शनिवार सुबह छह बजे तक यमुना का जलस्तर घटकर 166.19 मीटर पहुंच गया था। रविवार रातमें यमुना का जलस्तर खतरा के निशान 166 मीटर से नीचे पहुंच गया। घाटों पर भरा पानी नीचा होने के साथ ही राहत दिखाई दी। हालांकि यमुना की खादर में अब भी पानी भरा हुआ है। पानी उतरने के साथ कीचड़ हो गई है, जिसकी सफाई में नगर निगम के कर्मचारी जुटे रहे।
खादर की कालोनियां और वृंदावन परिक्रमा मार्ग का जलभराव अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। मकानों और खेतों में पानी के साथ गंदगी और बदबू फैल चुकी है। जिला प्रशासन की टीम संक्रमण रोकने और राहत पहुंचाने में जुटी है। प्रभावित लोगों को खाने-पीने की सामग्री और पशुओं के लिए हरे चारे की आपूर्ति की जा रही है। राहत केंद्रों पर भी व्यवस्था की गई है, ताकि लोगों को बाढ़ के बाद की मुश्किलों से निजात दिलाई जा सके।
वहीं बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में प्रशासन राहत सामग्री का वितरण करा रहा है। अपर नगर आयुक्त सौरभ सिंह ने बाढ़ प्रभावित जयसिंहपुरा क्षेत्र में जाकर पीड़ितों को जरूरतमंद सामान के पैकेट वितरित किए। उनके साथ पार्षद प्रतिनिधि चौधरी तिलकवीर, पार्षद मुन्न मलिक आदि मौजूद रहे। समाजसेवी मनीष प्रजापति ने तिवारीपुरम, हंसगंज शांति आश्रम ईशापुरम, गोला कुआं क्षेत्र में बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री बांटी।
यमुना के गिरते जलस्तर से घर लौटने लगे लोग
यमुना का जलस्तर लगातार गिरने से बाढ़ पीड़ितों ने राहत की सांस ली है। केशीघाट और परिक्रमा मार्ग से पानी पूरी तरह उतर चुका है। खादर क्षेत्र की कालोनियों से भी घरों का पानी निकलने लगा है। राहत शिविरों में रह रहे लोगों को प्रशासन ने घर लौटने की सलाह दी है।
कुछ लोग अपने घरों की तरफ भी लौटने लगे हैं। जिन घरों में अब भी पानी है, उनको एक-दो दिन तक शिविर में रहने की अनुमति दी गई है। प्रभावित इलाकों में अब गंदगी और दलदल की स्थिति बन गई है। संक्रमण रोकने के लिए एंटी-लार्वा और चूने का छिड़काव कराया जा रहा है।
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