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    यम फांस से मुक्ति के लिए भाई-बहन ने यमुना में लगाई आस्था की डुबकी, भाईदूज पर उमड़ी भीड़

    Updated: Thu, 23 Oct 2025 10:57 PM (IST)

    भाईदूज के मौके पर, भाई-बहन ने यम फांस से छुटकारा पाने की उम्मीद से यमुना नदी में श्रद्धापूर्वक स्नान किया। इस खास दिन यमुना किनारे भक्तों की भारी भीड़ जमा हुई। भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक इस पर्व पर, लोगों ने यमुना में डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना की, ऐसी मान्यता है कि इससे यमराज के बंधन से मुक्ति मिलती है। सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे।

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    जागरण संवाददाता, मथुरा। गुरुवार को यम द्वितीया पर यमुना की लहरें भाई-बहन के निश्चल प्रेम की साक्षी बनीं। यम फांस से मुक्ति को भाई-बहन ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर कान्हा की पटरानी यमुना में डुबकी लगाई। फिर बहन ने भाई को टीका किया और उसकी लंबी उम्र की कामना की। यमुना तट जयकारों से गुंजायमान रहा।

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    गुरुवार को भाईदूज पर भोर से ही श्रद्धालु यमुना स्नान को पहुंचने लगे। विश्राम पर जैसे-जैसे सूरज चढ़ता गया, श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई। यम द्वितीया पर भाई-बहन के एक साथ यमुना स्नान के विशिष्ट महत्व को देख गुजरात, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में भाई-बहन की जोड़ियां यमुना स्नान के लिए पहुंची। भाई-बहन ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ कर यमुना में डुबकी लगाई और यम फांस से मुक्ति की कामना की।

    मंदिर में विधि-विधान से हुई पूजा

    यमुना स्थान के पश्चात पुरोहितों ने घाट पर स्थापित यमुनाजी और धर्मराज के मंदिर में विधि-विधान से पूजा-अर्चना कराई और बहनों ने भाइयों के माथे पर टीका किया। लाइफगार्ड जैकेट पहने सुरक्षा कर्मी और गोताखोर लगातार स्टीमर के साथ यमुना में गश्त करते रहे। नगर निगम की ओर से की गई व्यवस्थाओं का महापौर विनोद अग्रवाल और नगर आयुक्त जगप्रवेश ने व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

    सिटी मजिस्ट्रेट राकेश कुमार, डिप्टी कलेक्टर आदेश कुमार सहित कई मजिस्ट्रेट और सीओ सिटी आशना चौधरी सहित अधिकारी तैनात रहे। गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी, अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी राम गोपाल सिंह आदि मौजूद रहे। उधर, वृंदावन के केशीघाट पर भी सुबह से ही भाई-बहन स्नान को पहुंचे। याज्ञिक आचार्य अवधेश बादल के अनुसार पुराणों में उल्लेख है कि भाईदूज के दिन जो भी भाई बहन यहां साथ में स्नान करें उन्हें यम फांस से और नर्क से मुक्ति मिल जाएगी।

    सख्ती से नाविक नाराज, नाव लेकर गए

    जब सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने नाविकों को श्रद्धालुओं को यमुना विहार कराने से मना किया तो नाविकों ने इस पर आपत्ति की नाविकों का कहना था कि यह वर्ष भर का यह ऐसा त्योहार है, जिसमें वह अच्छी कमाई कर सकते हैं। दूसरी ओर श्रद्धालुओं को बिठाने के मुद्दे पर पुलिसकर्मियों ने जब उनसे भला बुरा कहा, तो वह नाराज होकर अपनी अपनी नावें लेकर वहां से चले गए।

    श्री माथुर चतुर्वेद परिषद ने लगाया खोया पाया कैंप

    श्री माथुर चतुर्वेद परिषद ने खोया पाया केंद्र स्थापित किया, जिसमें लगभग 70 से 75 लोगों को अपने बिछुड़े हुए साथियों और स्वजन से मिलाया गया। परिषद के महामंत्री राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि उपाध्यक्ष संजय एल्पाइन, पूर्व उपाध्यक्ष मनोज पाठक, कमल चतुर्वेदी, नीरज चतुर्वेदी, अमित चतुर्वेदी, मंत्री अनिल चतुर्वेदी पमपम, अनुज पाठक और युवा समिति के गोपाल चतुर्वेदी, नित्नव चतुर्वेदी, अभय चतुर्वेदी और रामकृष्ण चतुर्वेदी आदि का सहयोग रहा।

    यमराज व यमुना का विश्व एकलौता मंदिर

    पुण्य तीर्थ विश्राम घाट पर स्थित श्रीयमुनाजी व धर्मराज मंदिर में यमराज और उनकी बहन यमुना की एक साथ पूजा होती है। मंदिर में मां यमुना चतुर्भुज रूप में विराजमान हैं और यमराज आशीर्वाद मुद्रा में दिखाई देते हैं। इसके अलावा धर्मराज के लेखक चित्रगुप्त का भी यहां श्रीविग्रह है। यहां आने वाले श्रद्धालु सिर्फ पूजा ही नहीं करते, बल्कि लंबी आयु और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना भी करते हैं।

    मान्यता है कि यमराज की सच्चे मन से पूजा करने पर न केवल मृत्यु का भय दूर होता है बल्कि आयु भी बढ़ती है। मंदिर की सेवायत रंजना एस़ चतुर्वेदी बताती हैं कि भाईदूज पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने मथुरा आए थे। बहन ने उनका बहुत आदर-सत्कार किया और उन्हें 56 भोग का प्रसाद खिलाया। प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भी भाईदूज के दिन यमुना स्नान कर बहन के घर भोजन करेगा और यमुना-यमराज की पूजा करेगा, उसके जीवन में कभी अकाल मृत्यु नहीं होगी।