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    यमुना एक्सप्रेस-वे हादसे के पीड़ितों ने सुनाई भयावह कहानी, हेल्पलाइन नंबर से जान सकते हैं 'अपनों का हाल'

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 07:25 AM (IST)

    यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए भीषण हादसे में बचे लोगों ने अपनी दर्दनाक आपबीती सुनाई। गहरी नींद में सो रहे यात्री अचानक झटके से जागे और चीख-पुकार मच गई। घा ...और पढ़ें

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    बस हादसे की फाइल फोटो।

    संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। शाम को जब घरों से लोग दिल्ली अथवा नोएडा के लिए निकले तो सोचा भी नहीं था कि वे गंतव्य तक पहुंच नहीं पाएंगे। रात के सफर में गहरी नींद में सोये थे कि अचानक एक भयावह झटका लगा और सवारियों की चीत्कार से आंखें खुलीं। खुद को संभाल पाते तब तक किसी के पैर में फ्रैक्चर हो चुका था तो किसी के कमर में चोट आ गई। न तो कुर्सी से उठ पा रहे थे और न ही संभल पा रहे थे।

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    कुछ समझ नहीं आ रहा था, चंद पल पहले गहरी नींद टूटने का नाम नहीं ले रही थी और अब वाहन के अंदर का माजरा काल का रूप लेता दिखाई दे रहा था। इतने में एक बस से आग की लपटें उठती दिखाई दीं तो गंभीर चोट के बावजूद घायल लोगों ने बसों के शीशे तोड़ बाहर कूदना ही उचित समझा।

    देखते ही देखते एक एक करके सात बस व तीन छोटे चार पहिया वाहनों से आग की लपट़ें उठ रही थीं। हर काेई अपनों को आवाज दे रहा था। लेकिन, किसी को खुद की सुध नहीं थी। किसी का रो-रोकर बुरा हाल तो कोई अपनी चोट लिए धूं धूं कर जलती बसों से दूर हटकर बचने की कोशिश कर रहा था। करीब आधे घंटे तक जिंदगी से मौत के साथ लड़ते लोग खुद को संभालने की कोशिश कर रहे थे तो कुछ लोगों को जिंदा जलते देख उनकी आत्मा कांप उठीं। हर ओर चीत्कार ही सुनाई दे रही थी।

    हेल्पलाइन नंबर जारी

    हादसे के बाद जिला प्रसासन ने हेल्प लाइन नंबर जारी किया है। यहां पर पीड़ित के स्वजन जानकारी कर सकते हैं। यह नंबर 0565-2403200, 9454417583, 9454401103 हैं।

    43 घायल हैं जिला अस्पताल में भर्ती


    यमुना एक्सप्रेस-वे पर हुए हादसे के 43 घायलों को जिला संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया। एंबुलेंसों के सारयन से वातवरण गूंज रहा था और चिकित्साकर्मी लगातार घायलों को एंबुलेंस से उतारकर वार्ड में शिफ्ट कर रहे थे। घायलों की आंखों में मृत्यु का खौफ सीधे तौर पर नजर आ रहा था। कोई सवाल करने पर सीधा जवाब भी नहीं दे पा रहे थे। बस अपने पास बैठे लोगों के बारे में सवाल कर रहे थे। कोई अपने स्वजन के बारे में पूछ रहा था तो कोई टूटी-फूटी बोली में कुछ बड़बड़ाते दिखाई दिया। अस्पतालकर्मी भी उनसे बात करने के बजाय उपचार शुरू करना बेहतर समझ रहे थे। बड़े हादसे को देख मानो लोग सुधबुध खो बैठे हों। घटना में कुछ घायलों ने जब अपनी बात बताई तो उनकी आखें भर आईं।

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    -मैं बस्ती से दिल्ली के लिए बस में बैठा, देर रात हुई तो आराम से सो गए थे। गहरी नींद लगी थी कि अचानक जोर का झटका लगा और अांख खुलीं जब तक पैर में फ्रैक्चर हो चुका था। खड़ा नहीं हुआ जा रहा था। साथ बैठे लोगों ने खिड़की तोड़ीं और बाहर कूदे, ये भी नहीं सोचा कि फ्रैक्चर और गंभीर हो जाएगा। केवल ये लग रहा था कि मौत से कैसे बचें। हर कोई शीशा तोड़कर बस से बाहर कूद रहा था, चीख पुकार मची थी। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। देखते ही देखते बसों में आग की लपटें उठती दिखाई देने लगीं। ईश्वर ने ही हमें बचा लिया। -शिवनारायण, निवासी: बस्ती।

    गौंडा से दिल्ली के लिए रात को बस में बैठ गए थे। घटना के समय गहरी नींद में सो रहा था कि अचानक तेज झटके से नींद टूट गई। सीट से आगे जाकर गिर गए, सामने देखा तो आगे वाली बस में आग लगी थी। सभी लोग बस की खिड़कियां तोड़कर बाहर कूद गए। देखते ही देखते हमारी बस में भी आग की लपट़ें उठ़ती दिखाई दीं। हर कोई खिड़की से बाहर कूदा, नहीं तो बस में ही जलकर मृत्यु हो जाती। -सुनील कुमार, निवासी: गौंडा।

    मैं सिकंदरा से बस में नोएडा परी चौक के लिए बैठी थी। जब घटना हुई तो मैं सीट पर सो रही थी। जैसे ही जोर का धक्का कुर्सी पर लगा तो आगे की सीट में फंसकर पैर की हड्डी टूट गई। साथ में भाई बैठा था, बस का शीशा व खिड़की तोड़ी तो बाहर निकल सके। जब तक बाहर भी लोग बस के आसपास जमा थे, उन्होंने बाहर निकलने में हमारी बहुत मदद की।
    -खुशबू, निवासी: सिकंदरा।

    - हम कानुपर से नोएडा परीचौक के लिए बस में बैठे थे। मैं सोया नहीं था, फोन चला रहा था मथुरा के समीप पहुंचे तो हादसा हो चुका था। करीब पांच बसों में आग लगी हुई थी। इतने में ही पीछे से आई बस ने हमारी बस में टक्कर मार दी। जिससे हमारी बस भी बीच में फंस गई। ये देख हम सभी ने खिड़की तोड़ी और बाहर कूदकर जान बचाई। हमारी बस जब पहुंची तो घटना स्थल पर एंबुलेंस मौजूद थीं, एंबुलेंस हमें अस्पताल तक लेकर पहुंचीं। -सतवीर, निवासी: हरदोई।

    घटना से कुछ देर पहले ही मैं जाग चुका था, मैंने मोबाइल निकाला देखा और जेब में रखने ही जा रहा था कि अचानक एक झटका लगा और मैं मुंह के बल सामने नीचे गिर गया। जब तक हम समझ पाए तब तक घटना हो चुकी थी। हम जैसे ही संभलते दूसरा झटका और कुछ देर बाद तीसरा झटका लगा। ये देखते ही हम सभी खिड़कियों से बाहर कूद गए। हमारी बस पांचवीं थी, इसके पीछे बसें थीं। मैं सड़क किनारे घास में ही पड़ा था कि हमारी बस में भी अाग लग गई। लोगों ने बाहर निकलने में बहुत मदद की। नहीं तो शायद आज जिंदा नहीं होता। जब मेंने मोबाइल देखा तो उस समय 3 बजकर 36 मिनट हो रहे थे। इसके चंद मिनटों बाद घटना घट गई। -आलोक तिवारी, निवासी: कानपुर।

    गोरखपुर में बस में बैठा और चंडीगढ़ के लिए जा रहा था। घटना के समय गहरी नींद में सो रहा था। अचानक तेज झटके के साथ आवाज आई। झटका लगते ही नींद खुली। हमारी बस तीसरे नंबर की थी। हमारे आगे की बस में आग लग गई। एक सरकारी बस में दो लोगों को जलते मैंने देखा, एक व्यक्ति को कार में जलतेे हुए मैंने देखा। लोग आपस में एक-दूसरे की मदद कर रहे थे। जो लोग निकल नहीं पाए, वे जल चुके थे। -रामदयाल, निवासी: देवरिया।