बांकेबिहारी मंदिर में कौन से श्रद्धालु कर पाएंगे VIP दर्शन? सेवायतों की बैठक में हो गया फैसला
ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में अब केवल प्रोटोकॉल वाले श्रद्धालुओं को ही वीआईपी दर्शन मिलेंगे। मंदिर सेवायतों के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। सेवायतों ने वीआईपी दर्शन की श्रेणी निर्धारित करने, यजमानों को शामिल करने और मंदिर में वीआईपी प्रोटोकॉल की सूची चस्पा करने की मांग की। मंदिर में भीड़ कम करने के लिए सेवादारों की संख्या कम करने और ई-पंजीकरण का प्रस्ताव भी रखा गया।
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जागरण संवाददाता, मथुरा। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में फिलहाल प्रोटोकाल वाले श्रद्धालु ही वीआइपी दर्शन कर पाएंगे। शुक्रवार को मंदिर सेवायतों के साथ हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित उच्चाधिकार प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ने यह साफ कर दिया।
सेवायतों ने कहा कि वीआइपी दर्शन कौन करेगा, इसकी कैटेगरी तय हो, हमारे यजमानों को भी शामिल किया जाए। अध्यक्ष ने कहा कि यजमानों को वीआइपी दर्शन के प्रस्ताव पर अगली बैठक में चर्चा होगी।
समिति ने 30 सितंबर से दर्शन का समय बढ़ाने का आदेश दिए थे, लेकिन वह लागू नहीं हुआ। पहले तीन नवंबर से नए समय पर मंदिर के पट खोलें, हम आपकी बातों पर विचार करेंगे। सेवायतों ने फिलहाल कोई स्पष्ट जवाब न देकर कहा कि हम गोस्वामी समाज के लोगों से वार्ता के बाद ही नए दर्शन समय पर निर्णय लेंगे।
शहीद लक्ष्मण स्मारक भवन में शुक्रवार दोपहर मंदिर उच्चाधिकार प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अशोक कुमार, सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुकेश मिश्र ने दो दर्जन सेवायतों संग बैठक की। सेवायतों ने वीआइपी दर्शन में प्रोटोकाल तय करने की मांग की। कहा जिस प्रकार टोल बैरियरों पर वीआइपी के प्रोटोकाल की सूची चस्पा होती है।
मंदिर में भी इसी तरह की सूची वीआइपी प्रोटोकाल की चस्पा हो। इसके अलावा कोई दूसरा व्यक्ति वीआइपी दर्शन न कर सके। फिर कहा कि हमारे यजमानों के लिए भी वीआइपी दर्शन व्यवस्था लागू करें। समिति अध्यक्ष ने साफ किया कि वीआइपी प्रोटोकाल वाले लोगों को ही वीआइपी कटहरा में दर्शन होंगे।
पुलिस द्वारा कुछ लोगों काे दर्शन कराने की शिकायतें मिली हैं, उस पर समिति में विचार-विमर्श कर हल निकाला जाएगा। सेवायतों के यजमानों को वीआइपी दर्शन व्यवस्था पर 19 नवंबर को होने वाली बैठक में चर्चा होगी। पूर्व में समिति ने मंदिर के अंदर सेवादार की संख्या करने को कहा था, लेकिन इस पर रोक नहीिं लगी।
अध्यक्ष ने कहा कि ठाकुरजी का भोग प्रसाद अर्पित करने अथवा किसी अन्य कार्य के लिए सेवायत और उनके सेवादारों की संख्या अधिक होती है। यह संख्या कम होनी चाहिए, ताकि भीड़ का दबाव कम हो। इस पर सेवायतों ने कहा सेवादारों की संख्या तय कर ली जाएगी, उनका ड्रेसकोड तय कर दिया जाए और पास दिए जाएं, पास पर गोस्वामी का नाम भी अंकित हो। सेवायतों ने अपने लिए बंद कोठरी का ताला खुलवाने की मांग की।
रुड़की की आइआइटी टीम करेगी रेलिंग व्यवस्था को सर्वे
अध्यक्ष ने कहा कि मंदिर प्रांगण में भीड़ नियंत्रण के लिए रेलिंग लगवाई जाएंगी। इससे पहले सर्वे कार्य कराया जाएगा, ताकि पारदर्शिता के साथ इमारत को कोई क्षति न पहुंचे। रुड़की आइआइटी की टीम से संपर्क किया गया है। जल्द ही वह सर्वे कार्य पूरा करेगी और मंदिर में रेलिंग व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।
सेवायत बोले, ईं-पंजीकरण भी अच्छा समाधान
सेवायत रजत गोस्वामी ने प्रस्ताव रखा कि दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं का ई-पंजीकरण हो। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के साथ सप्तदेवालयों में दर्शन के लिए भी पंजीकरण हो, ताकि बांकेबिहारी मंदिर दर्शन के लिए वे अपने समय पर ही पहुंचें। बाकी समय में सप्तदेवालयों के दर्शन करने पहुंचेंगे, तो भीड़ का फैलाव होगा और मंदिर पर भीड़ का दबाव भी नहीं बनेगा।
उन्होंने तिरुपति मंदिर में पंजीकरण व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा मंदिर में तय समय पर ही श्रद्धालु और उनके वाहन पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं के वाहन जल्द पहुंचते हैं, तो उनके चालान काट दिए जाते हैं।
सेवायतों ने कहा मंदिर के दोनों निकास द्वार द्वार नंबर एक व चार के बाहर चबूतरे पर स्वास्थ्य टीम तैनात होनी चाहिए। ताकि भीड़ के बीच से निकलकर जब लोग निकास द्वार पर पहुंचते हैं, तो उन्हें तत्काल प्राथमिक उपचार मिल सके।

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