Vihar Panchami: स्वामी हरिदास संग राजभोग प्रसादी पाएंगे ठाकुर बांकेबिहारी, जुटेगी श्रद्धालुओं की भीड़
वृंदावन में विहार पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर ठाकुर बांके बिहारी जी स्वामी हरिदास के साथ राजभोग प्रसादी ग्रहण करेंगे। निधिवन राज मंदिर में महाभिषेक होगा और स्वामी हरिदास की शोभायात्रा बांके बिहारी मंदिर तक जाएगी। मान्यता है कि बिहारी जी स्वामी हरिदास के आने तक राजभोग ग्रहण नहीं करते। इस दिन विशेष भोग और पोशाक धारण कराई जाएगी।

बांकेबिहारी मंदिर।
संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन (मथुरा)। विहार पंचमी का पावन पर्व आज मंगलवार को धर्मनगरी वृंदावन में दिव्य उल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह वह दिन है, जब गुरु-गोविंद का अनुपम संबंध साक्षात जीवंत होता है।
जब संगीत सम्राट स्वामी हरिदास अपने लड़ैते ठा. बांके बिहारीजी को जन्मोत्सव की बधाई देने स्वयं निधिवन से बांके बिहारी मंदिर तक शोभायात्रा लेकर आते हैं। और यही वही दुर्लभ क्षण है, जब मंदिर में राजभोग स्वामी हरिदास के आगमन तक रोक दिया जाता है।
बिहारीजी आज स्वामी हरिदासजी का इंतजार करेंगे और प्राकट्योत्सव की बधाई लेकर उनके साथ ही प्रसादी ग्रहण करेंगे।
मंगलवार तड़के निधिवन राज मंदिर में ठा. बांके बिहारी की प्राकट्यस्थली पर वैदिक मंत्रोच्चारों के बीच महाभिषेक होगा। विक्रम संवत 1563 की मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को इसी स्थल पर स्वामी हरिदास की साधना से प्रसन्न होकर ठा. बिहारी प्रकट हुए थे।
उसी दिव्य क्षण की स्मृति में यह उत्सव शताब्दियों से मनाया जा रहा है। निधिवन में महाभिषेक के बाद चांदी के रथ पर विराजमान स्वामी हरिदास निधिवन से बांके बिहारी मंदिर के लिए सुबह आठ बजे प्रस्थान करेंगे।
हरगुलाल हवेली की गोपिकाएं नृत्य गान करती शोभायात्रा में साथ चलेंगी। मार्ग भजन–कीर्तन से गूंजेगा और हजारों भक्त प्रेम भाव से इस दिव्य यात्रा के साक्षी बनेंगे। यह यात्रा केवल परंपरा नहीं, एक आध्यात्मिक अनुभूति है, जहां गुरु स्वयं गोविंद को बधाई देने मंदिर आते हैं।
विहार पंचमी का सबसे अद्वितीय भाव यह है कि ठा. बांके बिहारीजी स्वामी हरिदास के आने तक राजभोग नहीं ग्रहण करते। कथा है कि बिहारीजी आज भी उसी प्रेम–भाव में रहते हैं, जैसा प्राकट्य के समय था।
मंदिर सेवायत शैलेंद्र गोस्वामी ने बताया कि जब तक स्वामी हरिदास मंदिर में प्रवेश नहीं करते, बिहारीजी राजभोग पर नहीं आते। गुरु-गोविंद दोनों साथ प्रसाद पाते हैं। यही दिव्य परंपरा है। आज बिहारीजी को पीली पोशाक धारण कराई जाएगी।
विशेष भोग में मूंग दाल का हलुआ, बादाम का हलुआ व सूजी का हलुआ अर्पित किया जाएगा। सोमवार को दिनभर निधिवन राज मंदिर व शोभायात्रा मार्ग को सजाया गया। नगर में सुरक्षा, सफाई और भीड़ प्रबंधन की तैयारी की गई है।
प्राकट्योत्सव के कारण पूरे वृंदावन में भक्ति और आनंद का वातावरण व्याप्त है।आज भक्तों को वह दिव्य दृश्य फिर देखने मिलेगा। जब गुरु और गोविंद एक साथ प्रसादी पाएंगे और वृंदावन भक्ति की उस अनोखी लीला में मग्न हो उठेगा।

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