देसी गाय के दूध में बेमिसाल कुदरती गुण: डॉ. कृष्णगोपाल
देश में ज्यादातर पशुपालक अनपढ़ हैं। उन में जागरूकता व समझदारी नहीं। उन्हें नहीं पता कि देशी गायों के दूध में ए 2 जैसे फायदेमंद व बेमिसाल कुदरती गुण होते हैं।
जागरण संवाददाता, वृंदावन: देश में ज्यादातर पशुपालक अनपढ़ हैं। उन में जागरूकता और समझदारी नहीं। उन्हें नहीं पता कि देसी गायों के दूध में फायदेमंद व बेमिसाल कुदरती गुण होते हैं। देसी गाय के दूध की वाजिब कीमत नहीं मिलती क्योंकि उसका बाजार ही तैयार नहीं किया गया। गोशालाओं को बढ़ावा न देने से भी देसी गायों की हालत खराब है।
हासानंद गोचर भूमि पर रविवार को यह बात आरएसएस के सह कार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने कही। हासानंद गोचर भूमि न्यास द्वारा गौ ग्रास संकलन महोत्सव एवं प्रकल्प देशी घी निर्माण को कार्यशाला, मिल्क पार्लर एवं गायों को निर्मित शेड का श्रीकृष्णार्पण करते हुए डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा देसी और विदेशी गायों में बहुत अंतर है। अहम बात यह भी है कि देसी गाय की देखभाल करना आसान है। गाय के दूध के अलावा मक्खन,गोबर के कंडे व अगरबत्तियां भी काफी उपयोगी होती है। स्वामी महेशानंद ने कहा प्रत्येक संस्कृति के अपने-अपने प्रतीक होते हैं जो उस संस्कृति के मान्य मूल्यों को रूपायित करते हैं।
जीएलए विवि के कुलाधिपति नारायण अग्रवाल ने कहा व्यक्ति के संदर्भ में व्यक्तित्व का जो अर्थ है, वही अर्थ समाज के संदर्भ में संस्कृति का है। बाबा बलराम दास ने कहा गाय केवल अपनी उपयोगिता की ²ष्टि से मूल्यवान नहीं है। यदि ऐसा होता तो गो हत्या का विरोध न होता। गाय भारत में सांस्कृतिक प्रतीक इसलिए है कि गाय के व्यवहार में उन चारित्रिक गुणों की पहचान की गई है। गोशाला के अध्यक्ष एसके शर्मा, कल्याणदास अग्रवाल, मनोज अग्रवाल, अतुल कृष्ण भारद्वाज, ललित कुमार अरोड़ा, डॉ अनूप गुप्ता, जगदीश लाल भाटिया, गुलशन भाटिया, निरुपम भार्गव, प्रवीण भारद्वाज, डॉ. अनिल कुमार चौहान मौजूद रहे। धन्यवाद ज्ञापन सचिव सुनील कुमार शर्मा ने किया।