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    Vrindavan Madanmohan Temple: मुल्तान के व्यापारी की इच्छा हुई पूरी तो बनवाया सप्तदेवालयों में प्रमुख ये मंदिर

    By Jagran NewsEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Tue, 20 Dec 2022 02:55 PM (IST)

    Vrindavan Madanmohan Temple इस मंदिर का निर्माण मुल्तान के एक बड़े व्यापारी ने सनातन गोस्वामी के आदेश पर कराया था। सप्तदेवालयों में प्रमुख ठाकुर मदनमोहन मंदिर वैष्णव संप्रदाय का मंदिर है। इसका निर्माण संवत 1647 में हुआ था।

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    वृंदावन में यमुना किनारे स्थित प्राचीन मदनमोहन मंदिर

    वृंदावन, संवाद सहयोगी: परिक्रमा मार्ग से ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर जाने वाले हर श्रद्धालु की नजर लाल पत्थर की गगनचुंबी इमारत पर पड़ती है। ये प्राचीन मदनमोहन मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना साढ़े पांच सौ साल पहले चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी सनातन गोस्वामी ने की थी। घने वन के रूप में आच्छादित वृंदावन में जब मंदिरों की श्रृंखला शुरू हुई, तो सबसे पहले मदनमोहन मंदिर की ही स्थापना हुई। इसके बाद ही सप्तदेवालयों के साथ आज करीब पांच हजार से अधिक मंदिर वृंदावन की परिधि में स्थापित हैं।

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    1647 में हुआ था मंदिर का निर्माण

    बांकेबिहारी मंदिर में तो हर दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं, लेकिन मदनमोहन मंदिर में श्रद्धालु नहीं पहुंच पाते। मंदिर का निर्माण मुल्तान के एक बड़े व्यापारी ने सनातन गोस्वामी के आदेश पर कराया था। सप्तदेवालयों में प्रमुख ठाकुर मदनमोहन मंदिर वैष्णव संप्रदाय का मंदिर है। इसका निर्माण संवत 1647 में हुआ था।

    मंदिर के बारे में जो मान्यता है उसके मुताबिक, यमुना के किनारे चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी सनातन गोस्वामी द्वादश आदित्य टीला पर साधना करते थे। भजन करने के बाद वह जीवनयापन करने के लिए भिक्षा मांगने जाते थे। एक दिन सनातन गोस्वामी मथुरा में ओंकार चौबे के घर से भिक्षा मांग रहे थे। यहां सनातन गोस्वामी ने देखा कि चौबेजी के घर में एक पांच वर्ष का बालक खेल रहा था। सनातन गोस्वामी ने ओंकार चौबे की पत्नी से पूछा माता यह बालक आपका है। माता ने कहा, बाबा मेरा तो नहीं है, ये मुझे कुछ दिन पहले यमुना किनारे पर खेलते हुए मिला था तो इसे में अपने साथ घर ले आई। इसका नाम मदन मोहन है।

    ठाकुर जी का स्वभाव निराला

    चौबेजी के घर से सनातन गोस्वामी कुछ दिन बाद बालक को अपने साथ ले आए। सनातन गोस्वामी साधना कर अपने हाथ से बनी बिना नमक की बाटी का भोग ठाकुरजी को अर्पित करने के बाद वही भोग खुद खाते, और बालक को भी वही देते। बालक को बिना नमक की बाटी पसंद नहीं आई।

    इसी दौरान मुल्तान का एक व्यापारी रामदास कपूर यमुना में नौका से आगरा अपना माल पहुंचाने जा रहा था। उसकी नौका खराब हो गई। वह व्यापारी सनातन गोस्वामी के पास पहुंचा। गोस्वामी को पता चला कि नौका में व्यापारी नमक लेकर जा रहा है, तो वे सब समझ गए और उन्होंने व्यापारी से बालक मदनमोहन के सामने अपनी समस्या रखने को कहा।

    दर्शन के बाद व्यापारी ने लिया मंदिर निर्माण का संकल्प

    इसी दौरान जब व्यापारी ने सनातन गोस्वामी और बालक मदनमोहन के दर्शन किए और उनके लिए भोगराग सेवा और मंदिर निर्माण का संकल्प लिया, तो देखा कि नौका भी ठीक हो गई। तभी से यमुना किनारे दिव्य और भव्य मदनमोहन मंदिर में ठाकुर मदनमोहनजी की सेवा पूजा सनातन गोस्वामी द्वारा तय की गई पूजा-पद्धति के अनुसार ही हो रही है।

    वर्तमान समय में मंदिर का संरक्षण पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन है और सेवा पूजा की जिम्मेदारी मंदिर सेवायतों ने संभाल रखी है। इस मंदिर के निर्माण से पहले व्यापारी ने मदनेश्वर महादेव मंदिर, सूर्य मंदिर, सूर्य घाट, शीतला माता मंदिर और इसके साथ चार कुटिया भी बनवाई थी।

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