राधावल्लभ मंदिर: 310 वर्ष पहले शुरू हुई थी खिचड़ी उत्सव की परंपरा, हाड़ कंपाने वाली सर्दी में होती है मंगला आरती
वृंदावन के राधावल्लभ मंदिर में 22 दिसंबर से खिचड़ी उत्सव शुरू होगा, जो एक महीने तक चलेगा। 310 वर्ष पहले शुरू हुई इस परंपरा में, ठाकुरजी हर दिन अलग-अलग ...और पढ़ें

मंदिर में पहुंचे श्रद्धालु। जागरण
संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। सर्दी के दिनों में जब लोग ठिठुर रहे हैं, तो भोर में मंगला आरती के दौरान दर्शन देने में ठाकुरजी को भी सर्दी लगती होगी। इसी भाव के साथ 310 वर्ष पहले राधावल्लभ मंदिर में शुरू हुई खिचड़ी उत्सव की परंपरा आज भी बड़े उल्लास के साथ निभाई जाती है। 22 दिसंबर से मंदिर में खिचड़ी उत्सव की उमंग छाएगी और एक महीने तक चलने वाले इस उत्सव में हर दिन ठाकुरजी अलग-अलग रूप में भक्तों को दर्शन देकर रिझाएंगे।
राधावल्लभ मंदिर में 22 दिसंबर से शुरू होगा खिचड़ी उत्सव-एक महीने चलेगा उत्सव
हाड़ कंपाने वाली सर्दी में भक्त अपने आराध्य की मंगला आरती और खिचड़ी महोत्सव के अनूठे दर्शन के लिए कोहरा और सर्द हवाओं की परवाह किए बगैर ठाकुर राधावल्लभ मंदिर में पहुंचेंगे। मंदिर सेवायत श्रीहित देवकीनंदन गोस्वामी ने बताया ठाकुर राधावल्लभ मंदिर में पौष मास के शुक्ल पक्ष की दौज से माघ मास की एकम प्रभात तक ठाकुरजी को नित्य सुबह खिचड़ी प्रसाद अर्पित होता है। खिचड़ी महोत्सव 22 दिसंबर से शुरू होगा, जो 21 जनवरी तक चलेगा।
हर दिन अलग रूप में दर्शन देंगे राधावल्लभलाल
महोत्सव ठाकुरजी का प्राचीनतम व प्रिय उत्सव है। उत्सव को गोस्वामी कमलनयन महाराज ने तीन सौ दस वर्ष पूर्व शुरू किया था। प्रतिदिन भोर के समय से ही मंदिर के सेवायत गोस्वामी व वैष्णव भक्तों द्वारा हित हरिवंश महाप्रभु द्वारा रचित खिचड़ी के पदों का समाज गायन करेंगे और ठाकुरजी के अलग-अलग रूप में में दर्शन देंगे। उत्सव में ठाकुरजी कभी मनिहारिन, फूल वाली, पक्षी बेचने वाली, डाक्टर, वैद्य, शिक्षक, विद्यार्थी, जशोदा मैया, भगवान शंकर, दाऊजी, बांकेबिहारी, युगल सरकार, क्रिकेटर, गजक वाली रूप में दर्शन देकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
ये शामिल होता है पंचमेवायुक्त खिचड़ी में
ठाकुरजी को परोसे जाने वाली खिचड़ी के साथ अनेक प्रकार के साग, अचार, पापड़, फल, मेवा, सुगंधित पदार्थ, केशर, कस्तूरी, अदरक आदि 32 प्रकार के पदार्थ मिलाए जाते हैं। जायफल, जावित्री विभिन्न प्रकार के नमक, अनारदाना, छुआरे, आलू बुखारा, सूखी मेवा से यह चटपटा व पाचक बनता है। दिव्य प्रसाद में कुलिया, रबड़ी व चिपिया, श्रीखंड के रूप में दही के स्वाद भी खिचड़ी प्रसाद के साथ शामिल होता है।

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