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    कैसे दूर होगी भक्तों की तकलीफ? 'ठाकुर बांकेबिहारी जगमोहन में विराजमान होने से मिलेगी राहत', बोले श्रद्धालु

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 07:31 AM (IST)

    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में भक्तों को गर्भगृह में दर्शन करने में कठिनाई होती है क्योंकि वहां स्थान सीमित है। गर्मियों में ठाकुरजी जगमोहन में विराजमान होकर दर्शन देते हैं जिससे अधिक भक्तों को लाभ मिलता है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के कारण भीड़ नियंत्रण में भी समस्या आ रही है। भक्तों का सुझाव है कि ठाकुरजी को जगमोहन में विराजमान करने से सभी को सुलभ दर्शन हो सकेंगे।

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    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ी भीड़। फाइल

    संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर प्रांगण में ठाकुर बांकेबिहारीजी श्रद्धालुओं को गर्भ गृह में दर्शन देते हैं। गर्भगृह के सामने से ही भक्तों को आराध्य के दर्शन संभव होते हैं। जबकि, गर्मियों में ठाकुरजी जगमोहन में बैठकर फूलबंगला में दर्शन देते हैं तो पूरे प्रांगण में आराध्य के दर्शन होते हैं। अगर ठाकुरजी जगमोहन में बिराजें तो प्रांगण में आपाधापी का माहौल नहीं बनेगा। वहीं हर एक श्रद्धालुओं को आराध्य के सुलभ दर्शन हो सकेंगे।

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    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ में लगातार वृद्धि हो रही है। पिछले चार वर्ष में हुई वृद्धि के बाद शासन स्तर पर भीड़ नियंत्रण की अनेक योजनाएं बनाई गईं। लेकिन, धरातल पर सफलता हाथ नहीं लगी। वनवे रूट के साथ मंदिर प्रांगण में भी रेलिंग लगाकर एंट्री और बाहर निकलने के लिए श्रद्धालुओं के रूट तय किए गए। बावजूद इसके प्रांगण में श्रद्धालुओं की भीड़ का दबाव कम नहीं हो सका।

    गर्भगृह में विराजित रहने पर कम क्षेत्रफल में ही भक्तों को हो पाते हैं दर्शन

    इसका मुख्य कारण है कि जब ठाकुरजी गर्भगृह में विराजकर भक्तों को दर्शन देते हैं तो मंदिर के आधे हिस्से से भी कम दायरे में ही खड़े श्रद्धालुओं को आराध्य के दर्शन संभव होते हैं। जबकि गर्मी के दिनों या फिर उत्सवों के दिन ठाकुरजी जगमोहन में विराजमान होकर जब भक्तों को दर्शन देते हैं तो पूरे प्रांगण के हर कोने से आराध्य के दर्शन हर एक श्रद्धालु को होते हैं और मंदिर प्रांगण में आपाधापी का माहौल नहीं रहता।

    कोरोना काल से हर वर्ष बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या, सभी इंतजाम रहे फेल

    यही कारण है कि जब मंदिर की दर्शन व्यवस्था में बदलाव कर समय बढ़ाया जा रहा है, तो ठाकुरजी को जगमोहन में विराजित करने की योजना अमल में लाई जाए। इससे भीड़ नियंत्रण में भी सफलता मिलेगी और देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं को आराध्य के सहूलियत भरे दर्शन संभव हो सकेंगे।

    मंदिर में भीड़ के दबाव का है ये कारण

    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर परिसर के प्रांगण का एरिया 3600 वर्गफीट है। ठाकुरजी चार माह छोड़कर बाकी के आठ माह गर्भगृह के अंदर विराजमान होते हैं। जब ठाकुरजी गर्भगृह में विराजमान होते हैं तो केवल 1200 वर्गफीट एरिया से ही श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। बाकी के 1800 वर्गफीट के एरिया में खड़े श्रद्धालुओं को उनके दर्शन नहीं हो पाते हैं। यही कारण है इस 1200 एरिया क्षेत्रफल में ही श्रद्धालुओं का दबाव अधिक रहता है।

    परिसर की क्षमता से कई गुना अधिक आते हैं श्रद्धालु

    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर प्रांगण में 1200 वर्गफीट क्षेत्रफल में 800 लोगों के ही खड़े होने की जगह है। जबकि वृंदावन की स्थाई जनसंख्या ही 1.10 लाख है। इसके अलावा सामान्य दिनों में 70 से 80 हजार श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। वीकेंड अथवा पर्व-उत्सवों पर श्रद्धालुओं की संख्या का आंकड़ा 8 से 10 लाख तक पहुंच जाता है।

    ये होनी चाहिए व्यवस्था

    मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं का ठहाराव खत्म करने के साथ मंदिर परिसर में सेवायत और उनके सेवादारों की संख्या का आंकड़ा ही करीब 400 होता है। इसके बाद श्रद्धालुओं को भी ये सेवायत प्रसाद और पूजा के नाम पर परिसर में रोक लेते हैं। यही कारण है प्रांगण में भीड़ का दबाव बन जाता है। मंदिर में सेवायत, सेवादारों को हटाकर श्रद्धालुओं का ठहराव खत्म हो, तो जरूर राहत मिलेगी।

    कहते हैं श्रद्धालु

    ठाकुर बांकेबिहारीजी अगर जगमोहन में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं, तो इससे अच्छा कुछ भी नहीं हो सकता। गर्भगृह में चंद मिनट ही झलक मिलती है। जगमोहन में पूरा शृंगार और आराध्य के मन भरकर दर्शन मिल जाते हैं। ये व्यवस्था लागू होती है, तो हर श्रद्धालु प्रफुल्लित हो उठेगा। - ओमप्रकाश, कर्नाटक।

    ठाकुर बांकेबिहारीजी के दर्शन की जो भी व्यवस्था है, उसमें बदलाव नहीं होना चाहिए। हम उनके भक्त हैं, भक्त को भगवान की पुरानी परंपरा माननी चाहिए। ठाकुरजी तो सर्वत्र विराजमान हैं, हमें तो केवल एक झलक ही तो चाहिए। वो गर्भगृह में भी मिल जाती है। - विकास टंडन, दिल्ली।

    ठाकुर बांकेबिहारीजी के दर्शन तो सही मायने में उसी समय अच्छी तरह होते हैं, जब वे जगमोहन में विराजित होते हैं। फूलबंगला के दिनों में गेट से प्रवेश करते ही आराध्य के दर्शन मिलने शुरू हो जाते हैं। गर्भगृह में दर्शन सामने खड़े होने पर ही होते हैं। - हित अग्रवाल, नागपुर।

    -ठाकुरजी के जगमोहन में दर्शन मिलने से न केवल मंदिर प्रबंधन को व्यवस्था में सुधार का मौका मिलेगा। बल्कि कोसों दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को भी मन भरकर आराध्य के दर्शन करने का पूरा मौका मिलेगा। फिर वह मंदिर प्रांगण के किसी भी छोर पर क्यों न बैठा हो। - कमल किशोर, रायपुर।