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    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में अब दोनों ओर रेलिंग पर नहीं खड़े हो सकेंगे श्रद्धालु, इस व्यवस्था में भी हुआ बड़ा बदलाव

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 05:30 AM (IST)

    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में भीड़ नियंत्रण के लिए जगमोहन की रेलिंग पर श्रद्धालुओं के चढ़ने पर रोक लगा दी गई है। उच्चाधिकार प्रबंधन समिति ने शुक्रवार को आदेश जारी किया, जो शनिवार से लागू होगा। इसके साथ ही जगमोहन से चंदन कोठरी जाने वाला रास्ता भी बंद कर दिया गया है।    

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    जागरण संवाददाता, मथुरा। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में जगमोहन के दोनों ओर बनी रेलिंग पर अब श्रद्धालु नहीं चढ़ सकेंगे। उच्चाधिकार प्रबंधन समिति ने शुक्रवार को इसका आदेश जारी कर दिया। यह कार्रवाई भीड़ नियंत्रण के लिए की गई है। इसे शनिवार से ही लागू किया जाएगा। जगमोहन के अंदर से चंदन कोठरी जाने वाला रास्ता भी बंद कर दिया गया है।

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    इस आदेश को लेकर गोस्वामियों ने नाराजगी भी जताई है।शुक्रवार को समिति अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायाधीश अशोक कुमार और सदस्य मुकेश मिश्रा ने ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर का निरीक्षण किया। पूर्व में समिति ने बैठक में मंदिर के जगमोहन पर लगी रेलग के दोनों ओर महिला और पुरुषों के अलग-अलग चढ़ने की व्यवस्था की थी। इसका पालन नहीं हो पा रहा है।

    ऐसे में हो सकती है घटना

    दोनों ओर रेलिंग पर बेतरतीब तरीके से चढ़कर दर्शन करने से कभी कोई घटना हो सकती है। गोस्वामी बंधु और उनके सहायक पूर्व में की गई व्यवस्था का पालन नहीं कर रहे हैं। जगमोहन के बगल में चंदन कोठरी (कमरे) में देहरी पूजन की व्यवस्था की जाती है। इस कारण भी भीड़ प्रबंधन नहीं हो पाता है। समिति अध्यक्ष अशोक कुमार ने शुक्रवार देर शाम जारी आदेश में श्रद्धालुओं के जगमोहन पर चढ़ने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया।

    इसका पालन शनिवार से ही किया जाना है। समिति अध्यक्ष ने जगमोहन के अंदर से चंदन कोठरी जाने वाले रास्ते को भी बंद करने के निर्देश दिए हैं। तोशाखाना का दरवाजा काफी पुराना और जंगयुक्त है। इसलिए इस पर भी ऊपर से बाहर की ओर स्टील का मजबूत दरवाजा लगाया जाएगा। यह काम भी एक सप्ताह के अंदर किया जाएगा।

    गोस्वामियों में आदेश से नाराजगी

    गोस्वामियों में इस आदेश से नाराजगी है। मंदिर के सेवायत रजत गोस्वामी ने बताया कि पूर्व में इस सारी व्यवस्था पर प्रतिबंध लगाने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्टे दे रखा है। इसलिए यह आदेश सीधे-सीधे हाई कोर्ट की अवहेलना है। इससे सेवायतों के अधिकारों का भी हनन है।