Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Saint Premanand: रात के करीब 2 बजे कुटिया से निकले संत प्रेमानंद के शिष्य, फिर जो हुआ, देख लोग रह गए दंग!

    Updated: Tue, 18 Feb 2025 08:37 PM (IST)

    संत प्रेमानंद की पदयात्रा फिर शुरू होने से श्रद्धालुओं में हर्ष की लहर दौड़ गई। रात दो बजे जब संत अपने आवास से निकले तो हजारों अनुयायियों ने जयकारों के साथ स्वागत किया। पुष्पवर्षा रंगोली और दीपदान के बीच भक्तों की आस्था देखने लायक थी। भक्तों ने उनकी अनुपस्थिति में मायूसी जताई वहीं वापसी पर उल्लास से भरे नजर आए।

    Hero Image
    पदयात्रा करते चल रहे संत प्रेमानंद और सड़क किनारे दर्शन को उमड़ी भक्तों की भीड़। - फोटो: जागरण।

    विपिन पाराशर, वृंदावन। अद्भुत आस्था, अटूट विश्वास। यह एक संत के प्रति श्रद्धा ही है कि अपने प्रवचनों के लिए देश-दुनिया में प्रख्यात संत प्रेमानंद ने एक कालोनीवासियों के आग्रह पर अपनी रात्रिकालीन पदयात्रा अनिश्चितकालीन स्थगित की तो हर ओर मायूसी छा गई। 11 दिन बाद अनुयायियों के आग्रह पर संत ने उनकी पदयात्रा फिर पुराने रास्ते पर थी। संत के पदों की आहट से हर चेहरे पर मुस्कुराहट आई। कहीं स्वागत में पुष्पवर्षा हुई, कहीं रंगोली सजी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रात के कोई एक बज रहे हैं। सर्द हवा बदन में चुभ रही है, लेकिन संत प्रेमानंद के छटीकरा मार्ग की श्रीकृष्ण शरणम कालोनी के बाहर हजारों की संख्या में भक्त विचरण कर रहे हैं। आंखें कालोनी के गेट पर टिकी हैं और संत के आने की व्याकुलता चेहरे पर दिख रही है। करीब पौने दो बजे कुटिया से कुछ शिष्य निकले।

    प्रतीक्षारत अनुयायियों से सड़क के दोनों ओर खड़े होने का इशारा किया, कोई पांच मिनट में सब एक लाइन में आ गए। ठीक दो बजे संत प्रेमानंद कालोनी स्थित आवास से पदयात्रा के लिए निकले, इसका संकेत उनके शिष्यों ने बाहर दे दिया, फिर क्या था हजारों मन आल्हादित हो गए।

    ठीक पांच मिनट बाद कालोनी के गेट पर वह पहुंचे और फिर उनकी झलक पा जयकारे गूंजे, तो मानों गहरी रात भी जाग उठी। कुछ आगे नंदनवन कट पर भजन गायन कर स्वागत हुआ, संत ने अभिवादन किया और आगे बढ़े। किसी ने पुष्पवर्षा की तो किसी ने सुंदर रंगोली सजाई। कई दिन बाद अपनों के बीच पदयात्रा कर प्रफुल्लित संत भी मानों कह रहे हों, हम आपसे दूर कैसे रह सकते हैं।

    इस बार की पदयात्रा में न किसी ने आतिशबाजी की और न ही ढोल-नगाड़ा बजा। कुछ था तो बस उनके प्रति प्यार। सुनरख मोड़ पर अनुयायियों ने तोरणद्वार बनाया था, सड़क किनारे ही दीपदान हुआ। पीत वस्त्रों में दोनों हाथ जोड़ संत ने अभिवादन किया,उन्हें सामने देख हजारों आंखें छलछला आईं।

    परिक्रमा मार्ग पर जिस एनआरआइ ग्रीन कालोनी के लोगों ने उनसे शोर-शराबे के कारण पदयात्रा बंद करने का आग्रह किया था, उसके प्रवेशद्वार पर कुछ श्रद्धालुओं ने रंगोली बनाई, हालांकि यहां कालोनीवासी नजर नहीं आए। हां, इस कालोनी के आसपास बाहरी श्रद्धालु भी बहुत अधिक नहीं थे।

    सड़क किनारे हाथों में पुष्प लिए संत का कोई तीन घंटे से इंतजार कर रही दिल्ली निवासी सोनिया की आंखों से प्रेमानंद महाराज को सामने देख जो पानी निकला, वह बता रहा है कि संत के प्रति कितनी आस्था है। बोलीं, दोपहर में पता चला कि वह पदयात्रा करेंगे, तुरंत दिल्ली से वृंदावन के लिए निकल लिए। जो आनंद मिला, कहीं और कहां।

    काशी से आए सौरभ सिंह इंटरनेट मीडिया पर प्रवचन सुनते हैं, बहुत प्रभावित हैं। बोले, जिस दिन यात्रा बंद करने की सूचना मिली, दुख हुआ। यह राधारानी की कृपा है, वह फिर पदयात्रा को मान गए। संत प्रेमानंद के प्रति आस्था क्या है, यह भिंड के विजय मिश्रा बेहतर बता सकते हैं।

    हर माह उनके दर्शन को आते हैं। सोमवार को वृंदावन में थे, पता चला आज पदयात्रा होगी, जरूरी काम से भिंड जाना था, लेकिन छोड़ दिया, पहले संत के दर्शन। बताते हुए आंखें बरस पड़ीं, बोले, जो संत दूसरों का भला चाहते हैं, लोग उनका विरोध क्यों करते हैं।

    संत प्रेमानंद का स्वागत करने के लिए श्रद्धालुओं ने गुब्बारे से बनाए तोरणद्वार और रंगाेली सजाकर किया दीपदान। - फोटो: जागरण।

    जम्मू के प्रमोद शर्मा रास्ते में खड़े थे, इंटरनेट मीडिया पर देखा कि संत पदयात्रा के लिए राजी हैं, दो दिन से वृंदावन में डेरा जमाए थे। पदयात्रा के पीछे उनके जयकारे गूंज बता रही थी कि वह कितना प्रसन्न हैं, बोले, ऐसे संत तो विरले मिलते हैं।

    संत की पदयात्रा चलती रही, आगे पुष्पवर्षा और पीछे श्रद्धालुओं की भीड़ जयकारे लगाती रही। कोई दस हजार श्रद्धालु होंगे, हालांकि बहुतों को पता नहीं चल पाया, इसलिए आज संख्या कम थी। श्रीकृष्ण शरणम से श्रीराधाकेलिकुंज तक दो किमी की जो पदयात्रा दो घंटे में समाप्त होती थी, वह चालीस मिनट में पूरी हुई।

    खूब बिके पोस्टर

    संत प्रेमानंद की पदयात्रा बहुतों को रोजगार देती है, चाहे वह फूल विक्रेता हों या फिर अन्य। पदयात्रा शुरू होने की सूचना पर उनके पोस्टर की बिक्री भी शुरू हुई। श्रद्धालुओं बड़ी संख्या में पोस्टर खरीदे, उन्हें घर में सजाने को साथ ले गए।