Banke Bihari Temple: बांके बिहारी मंदिर में ढाई दशक से बंद इस परंपरा को फिर से शुरू करने की उठी मांग
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में ढाई दशक से भोग भंडार बंद है जिससे भक्तों को बाजार से प्रसाद लाना पड़ता है। मंदिर प्रबंधन से भोग भंडार की पुरानी परंपरा को फिर शुरू करने की मांग की गई है ताकि भीड़ नियंत्रण हो और शुद्ध प्रसाद मिल सके। सेवायत आचार्य प्रह्लादवल्लभ गोस्वामी ने गुणवत्तापूर्ण प्रसाद के लिए भोग भंडार शुरू करने का आग्रह किया है।

जागरण संवाददाता, वृंदावन। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में पिछले ढाई दशक से भोग भंडार की व्यवस्था बंद है। ऐेसे में ठाकुरजी को भोग अर्पित करने को श्रद्धालु बाजार से पेड़ा आदि खरीदकर सेवायतों के माध्यम से ठाकुरजी को भोग अर्पित करते हैं।
यही कारण है कि मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं का ठहराव हो जाता है। मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं की भीड़ नियंत्रण और सहूलियत के लिए मंदिर प्रबंधन द्वारा भोग भंडार की पुरानी परंपरा को दोबारा शुरू कर दिया जाए। इससे भीड़ नियंत्रण पर भी सफलता मिलेगी और श्रद्धालुओं को मंदिर में तैयार होने वाला शुद्ध प्रसाद भी मिल सकेगा।
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर सेवायत आचार्य प्रह्लादवल्लभ गोस्वामी ने मंदिर में पिछले ढाई दशक से बंद पड़ी भोग भंडार की परंपरा को जल्द ही शुरू करवाने की मांग की है। ताकि ठाकुरजी का शुद्ध, अमनिया पदार्थ का भोग मिल सके, जिसका ठाकुरजी को भोग लगाया जा सके।
गोस्वामी ने कहा मंदिर के निजी भोगभंडार में तैयार होने वाले प्रसाद की गुणवत्ता उत्तम होगी। मंदिर की नई प्रबंधन हाईपावर कमेटी इसके लिए जल्द निर्णय ले। गोस्वामी ने कहा ढाई दशक पहले मंदिर के गेट संख्या तीन के निकट संचालित होने वाले भोग भंडार में शुद्ध देसी घी से निर्मित दैनिक पारस, पक्की रसोई, पकवान, सोहन हलुवा, बालूशाही, मठरी, विभिन्न प्रकार के लड्डू, राधाष्टमी पर चाव चबैनी, शरद पूर्णिमा पर चंद्रकला, विहार पंचमी पर बादाम मूंगदाल सूजी का मोहनभोग हलुवा, खोआ लड्डू, पेड़ा, कुलैया, खीरसागर तैयार होता था।
प्रांगण में बने केबिन में भोग की पर्ची कटती थी। जहां श्रद्धालु पर्ची कटवाकर प्रसाद प्राप्त करते थे। कहा उस दौर में मंदिर में ठाकुरजी का बाहर से आने वाला प्रसाद अर्पित नहीं होता था। लंबे समय तक भोग भंडार बंद पड़ा रहा है। ऐसे में प्रबंधन हाईपावर कमेटी अपने अधिकारों का उपयोग कर भोग भंडार की व्यवस्था शुरू करे।
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