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    टटिया स्थान में 500 वर्षों से चली आ रही अनूठी परंपरा! राधाष्टमी पर वर्षभर में एक ही दिन होती है मंगला आरती

    वृंदावन के टटिया स्थान में राधाष्टमी और स्वामी हरिदास का प्राकट्योत्सव एक साथ मनाया जाता है। 31 अगस्त को राधाष्टमी पर ठाकुर मोहिनी बिहारीजी की मंगला आरती होगी जो साल में एक बार ही होती है। यहां 500 साल पुरानी परंपराओं का निर्वहन हो रहा है और स्वामी हरिदास द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुएं आज भी संरक्षित हैं। यहां बिजली का उपयोग नहीं होता।

    By Vipin Parashar Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 25 Aug 2025 08:05 AM (IST)
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    वृंदावन का टटिया स्थान यहां साल में एक बार होती है मंगला आरती।

    संवाद सहयोगी, जागरण, वृंदावन। स्वामी हरिदासीय परंपरा के मुख्य केंद्र टटिया स्थान में आज भी साढ़े पांच सौ वर्ष पुरानी परंपराओं का निर्वहन हो रहा है। प्राचीन वृंदावन का दर्शन अगर किसी को करना है तो टटिया स्थान में आज भी होता है। ब्रज में कहावत भी है कि टटिया स्थान में अब तक कलियुग का प्रवेश नहीं हुआ है। इसी पवित्र स्थान पर राधाष्टमी और स्वामी हरिदास का प्राकट्योत्सव एक साथ मनाया जाएगा। 31 अगस्त को राधाष्टमी है।

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    इसी तिथि को वर्ष में एक ही बार भोर में चार बजे ठाकुर मोहिनी बिहारीजी की मंगला आरती होती है। मंगला आरती के बाद स्वामी हरिदास द्वारा उपयोग किए गए करुआ के दर्शन भी भक्तों को कराए जाएंगे। पांच सौ वर्ष पहले जिन वस्तुओं का स्वामी हरिदास उपयोग करते थे, वह आज भी यहां संरक्षित हैं।

    राधाष्टमी व स्वामी हरिदास के प्राकट्योत्सव पर होती है मंगला आरती

    यमुना किनारे स्थित टटिया स्थान हरिदासीय संप्रदाय का मुख्य केंद्र है। यहां साढ़े पांच सौ वर्ष पुराने वृंदावन का दर्शन आज भी हो रहा है। आश्रम में किसी भी आधुनिक वस्तु का प्रवेश वर्जित तो है ही, बिजली का कनेक्शन भी आश्रम में नहीं है। रात के अंधेरे में दीपक की रोशनी का उपयोग होता है। श्रद्धालु मंदिर में दर्शन को जाते हैं तो उनके मोबाइल भी बंद करवा दिए जाते हैं। आश्रम में राधाष्टमी पर सुबह मंगला आरती के बाद स्वामी हरिदास के प्राकट्योत्सव पर रसिक संत समाज गायन कर उन्हें जन्मोत्सव की बधाई देते हैं।

    सादगी दिव्यता का प्रतीक भी यह स्थान

    टटिया स्थान एकमात्र ऐसा स्थान है जो भक्तों को प्रकृति से जोड़ता है। इस स्थान पर कई वृक्ष हैं, जो दिव्यता को अपने में समेटे हुए हैं। इनकी शीतलता श्रद्धालुओं को सुखद अहसास कराती है। यहां बिजली कनेक्शन नहीं है, इसलिए सूर्यास्त के बाद दीपक जलाए जाते हैं। आश्रम के मध्य में प्राचीन मंदिर में भगवान मोहिनीबिहारी भक्तों को दर्शन दे रहे हैं।

    राधा अष्टमी सबसे बड़ा उत्सव

    राधा अष्टमी यहां का सबसे बड़ा उत्सव है। इस दिन देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन को आएंगे। इस दिन यहां यहां मेला जुटता है। ब्रजक्षेत्र के श्रद्धालु इस दिन ठाकुर मोहिनीबिहारीजी के दर्शन के साथ आश्रम के उत्सव में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं। इस दिन आश्रम में ठाकुरजी काे विशेष रूप से अरबी प्रसाद अर्पित किया जाता है।