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    मोबाइल का इस्तेमाल नहीं… पैसे के लिए किसी की भी हत्या कर देता था, पंकज ने दोस्त की पत्नी से की थी दूसरी शादी

    Updated: Wed, 07 Aug 2024 09:56 PM (IST)

    दिवंगत माफिया मुख्तार अंसारी और बिहार के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के साथ ही कई अन्य गिरोह के लिए भाड़े पर हत्या करने वाले मऊ का पंकज यादव पांच वर्ष से जमानत पर बाहर था। वह संगठित गिरोह बनाकर पैसे के लिए किसी की भी हत्या कर देता था। पंकज के साथ उसके कई साथियों पर पुलिस ने एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।

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    मथुरा: फरह क्षेत्र में पुलिस मुठभेड़ की घटना के बाद जांच-पड़ताल करती एसटीएफ टीम। इनसेट में- पंकज यादव

    जागरण संवाददाता, मथुरा। 20 वर्ष से आतंक का पर्याय बने एक लाख के इनामी पंकज यादव को पकड़ना पुलिस के लिए काफी मुश्किल था। वह इतना शातिर था कि जहां भी रहता था मोबाइल का इस्तेमाल भी नहीं करता था। एक स्थान पर कुछ दिन रहने के बाद वह ठिकाना बदल देता था।

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    हमेशा वॉट्सऐप कॉल करता था

    एसटीएफ के उपाधीक्षक धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि पंकज के कई साथियों को एसटीएफ ने मुठभेड़ में मार गिराया। पुलिस से बचने के लिए पंकज ने मोबाइल का उपयोग कम किया। वह हमेशा वॉट्सऐप कॉल करता था। 

    इंटरनेट के लिए वह एक डोंगल अपने साथ रखता था। जहां रहता था, वहां से कुछ दूरी पर जाकर ही वॉट्सऐप कॉल करता था। उसके एक साथी काली पासी को एसटीएफ ने 23 जून 2010 को मुठभेड़ में मार गिराया था। पंकज ने साथी की पत्नी से दूसरी शादी कर ली थी। पंकज के परिवार में तीन भाई और एक बहन हैं।

    ये साथी पूर्व में हो चुके ढेर

    अंबेडकर नगर निवासी परवेज का तीन वर्ष पूर्व गोरखपुर, पन्ना यादव का ढाई वर्ष पहले बहराइच, हरीश पासवान का दो वर्ष पूर्व बलिया, गुरफान निवासी प्रतापगढ़ का डेढ़ वर्ष पूर्व कौशांबी, शंकर पांडेय निवासी मऊ का दो वर्ष पूर्व लखनऊ और सुमित उर्फ मोनू निवासी मऊ 20 दिन पूर्व जौनपुर में एनकाउंटर हो चुका है। अभी दो साथी बीकेडी और अनुज कनौजिया बचे हुए हैं।

    लूट की रिवाल्वर की आशंका, यूनिक नंबर था खुरचा

    एसटीएफ से हुई मुठभेड़ में ढेर होने के बाद पंकज के पास से .32 बोर की एक पिस्टल, एक रिवाल्वर, चार कारतूस, एक बाइक बरामद हुई है। रिवाल्वर लाइसेंसी प्रतीत हो रही हैं। 

    एसटीएफ ने आशंका जताई है कि पंकज ने इनको किसी से लूटा होगा। पुलिस ने इनको जांच के लिए एफएसएल भेजा है, ताकि इनके खुरचे हुए यूनिक नंबर का पता लग सके। बाइक किसकी है, इसकी भी जानकारी की जा रही है।

    हरियाणा और पंजाब से मिलने लगा राजनीतिक संरक्षण

    पंकज यादव के खिलाफ पहला मुकदमा गाजीपुर के कासिमाबाद थाने में चोरी के आरोप में दर्ज हुआ था। इसके बाद पंकज ने पूर्वांचल के जिलों की पुलिस की नाक में दम कर दिया। बिहार, असम, बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ में अपराध करने लगा। 

    एसटीएफ सूत्रों का कहना है कि हरियाणा और पंजाब से उसको राजनीतिक संरक्षण मिलने लगा था। पंकज के खिलाफ मऊ जिले के विभिन्न थानों में 22 मुकदमे दर्ज हैं। गोरखपुर में दो मुकदमे दर्ज हैं। तीन मुकदमे गाजीपुर, नौ मुकदमे आजमगढ़, और एक बिहार के छपरा में दर्ज है।

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