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    मथुरा में 300 एकड़ जमीन पर उगेगी नेपियर घास, गोशालाओं के पशुओं के लिए तैयार होगी खुराक

    Updated: Sun, 09 Nov 2025 03:44 PM (IST)

    मथुरा में 300 एकड़ जमीन पर नेपियर घास उगाई जाएगी। यह घास गोशालाओं के पशुओं के लिए पौष्टिक आहार के रूप में इस्तेमाल होगी, जिससे चारे की समस्या दूर होगी। इस पहल से पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर होगा और दूध उत्पादन में वृद्धि होगी।

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    जागरण संवाददाता, मथुरा। ब्रज क्षेत्र गोवंशी पशुपालकों के घरों से लेकर संतों के आश्रम एवं विभिन्न गोशालाओं में बड़ी संख्या में गोवंशी संरक्षित किए जा रहे हैं। इनमें से कई गोशालाओं में पर्याप्त चारे की किल्लत रहती है, जिसकी आपूर्ति के लिए नेपियर घास की पैदावार शुरू कर दी गई है। इसके लिए जिला प्रशासन की पहल पर 300 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है, जिस पर नेपियर घास उगाई जा रही है।

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    जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश सिंह के आदेश पर उमा कल्याण ट्रस्ट द्वारा गोशालाओं से जुड़ी हुए गोचर भूमि में लगभग 200 एकड़ उगाई जाने की कार्ययोजना तैयार हुई थी। इसके लिए गांव धमसिंगा, बसई शेरगढ़, श्रीकृष्ण गोशाला राल, कमई, कुंजेरा एवं जावली में जगह चिन्हित की गई है। उत्पादन से पहले चिन्हित की गई भूमि का संबंधित ग्राम पंचायत के साथ एमओयू की विधिक कार्रवाई हुई, इसके बाद नेपियर घास उत्पादन हुआ।

    इस कार्य में विशेषज्ञों की टीम भी लगाई गई, जिसने देखा कि कैसे कम से कम लागत में अधिक से अधिक उत्पादन हुआ, जिससे अधिक से अधिक गोवंशी को पूरे वर्ष हरा चारा उपलब्ध कराया जा सका। पहले चरण में नेपियर घास लगाने के बाद उसके उत्पादन में आए खर्चे व मात्रा की समीक्षा कर आगे भी अन्य जगहों पर भी इस कार्ययोजना को लागू किया जाएगा, ताकि जिले के सभी जरूरतमंद गोशाला में नियमित हरा चारा उपलब्ध करवाया जा सके।

    एक बीज में नौ वर्ष फसल, एक वर्ष में चार बार कटाई

    नेपियर घास की फसल एक बार बीज डालने के बाद नौ साल तक चलती है। एक बार बीज डालने के बाद यदि सही तरीके से सिंचाई आदि हो तो एक वर्ष में चार बार फसल ली जा सकती है। एक एकड़ में कम से कम 200 टन की घास का उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इससे गोवंशी के लिए हरे चारे की नियमित उपलब्धता की जा सकेगी और एक लंबी परियोजना पर काम होगा।

    ग्राम पंचायत व प्रशासन के सहयोग से गोमाता की रक्षा एवं उनकी आहार की उचित व नियमित व्यवस्था के लिए नेपियर घास के उत्पादन पर काम किया जा रहा है। 300 एकड़ जमीन के लिए एमओयू किया गया है।
    - अरुण कुमार उपाध्याय, पीडी, डीआरडीए