प्रवासी पक्षियों का डेरा, शुरू हुई गणना
अंतरराष्ट्रीय संस्था वेटलैंड्स इंटरनेशनल की ओर से प्रति वर्ष होने वाली माइग्रेटरी वाटर बर्ड की गणना मथुरा में भी शुरू कर दी गई है।

जासं, मथुरा: अंतरराष्ट्रीय संस्था वेटलैंड्स इंटरनेशनल की ओर से प्रति वर्ष होने वाली माइग्रेटरी वाटर बर्ड की गणना मथुरा में भी शुरू कर दी गई है।
रविवार को टीम जोधपुर झाल पर पहुंची। यहां वेटलैंड्स इंटरनेशनल एवं बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी द्वारा आइयूसीन के सदस्य ईकोलोजिस्ट टीके राव के निर्देशन तथा पक्षी विशेषज्ञ डा. केपी सिंह की निगरानी में प्रवासी जलीय पक्षियों की गणना की गई।
तीन घंटे चली गणना में 47 प्रजातियों की पहचान हुई, जिनमें संकटग्रस्त सूची में शामिल सात प्रजातियों सहित 27 प्रवासी तथा 20 आवासीय प्रजातियों को चिन्हित किया गया। कुल पक्षियों की संख्या 1179 थी। गणना में दो टीमों ने सात वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल कवर किया। टीम में प्रमुख रूप से डा. अमिता सरकार, डा. पुष्पेंद्र विमल, हिमांशी सागर, शमी सैय्यद, नेहा शर्मा, नितिश परिहार, मेहरान, आकाश जैन, वीरेंद्र गुप्ता, नवीन चंद्र, शिवेंद्र, सुनीता शामिल रहे। बर्ड फ्लू की दहशत, कोरोना गायब
मथुरा: रविवार को एक भी कोरोना संक्रमित मरीज की पुष्टि नहीं हुई। इससे यह तो साफ हो गया है कि आम आदमी में अब बर्ड फ्लू की तो दहशत दिखाई दे रही है, जिसकी वजह से उन्होंने अंडा और चिकन खाना कम कर दिया है। वहीं कोरोना का डर तो पहले ही नहीं था। अब तो पूरी तरह से गायब हो गया। वहीं दस मरीज स्वस्थ हो गए हैं।
छह अप्रैल को जिले में पहला कोरोना संक्रमित मरीज मिला था। इसके बाद जून-जुलाई से तो रोज संक्रमित मरीजों की पुष्टि होना शुरू हो गया था। अक्टूबर और नवंबर में तो कोरोना संक्रमित मरीजों के मिलने ने रिकार्ड तोड़ दिया। एक-एक दिन में 165 तक मरीजों की पुष्टि हुई। तब से लगातार संक्रमित मरीजों के मिलने का सिलसिला चल रहा था। शहर से लेकर गांव तक शायद ही कोई कोना रहा होगा, जहां संक्रमित मरीज की पुष्टि न हुई हो। जिसकी वजह से जिले में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या 6761 हो गई है, जबकि स्वस्थ हुए मरीजों की संख्या 6539 हो गई है। अब तक जिले में मात्र 112 एक्टिव मरीज रह गए हैं।
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