जहां बना दीनदयाल स्मारक, वहां थी दीना काका की झोपड़ी
ढाई साल की उम्र में ननिहाल चले गए थे पंडित दीनदयाल उपाध्यायझोपड़ीनुमा कचे मकान में रहता था दीना काका का परिवार ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, मथुरा: दीना काका, यानी पंडित दीनदयाल उपाध्याय। एकात्म मानववाद के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय भले ही बाहर बहुत कुछ हों, लेकिन अपने गांव नगला चंद्रभान में तो वह अंतिम समय तक दीना काका के नाम से ही जाने जाते रहे। आज गांव में जहां उनका स्मारक बना है, वहां उनका झोपड़ीनुमा पैतृक आवास हुआ करता था।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को फरह विकास खंड के गांव नगला चंद्रभान (अब दीनदयाल धाम) में हुआ था। पिता भगवती प्रसाद जलेसर रोड स्टेशन पर स्टेशन मास्टर थे। दीनदयाल
उपाध्याय केवल ढाई बरस के थे, तब पिता का निधन हो गया और मां रामप्यारी देवी दीनदयाल और उनके छह माह के छोटे भाई को लेकर अपने मायके चली गईं। तब दीनदयाल उपाध्याय के नाना चुन्नीलाल शुक्ल राजस्थान के धनकिया में रेलवे स्टेशन मास्टर थे। दीनदयाल को परिवार में दीना के नाम से पुकारा जाता था। नगला चंद्रभान के लिए तो वह दीना काका थे। दीना काका का परिवार गांव में झोपड़ीनुमा कच्चे मकान में रहता था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति महोत्सव समिति के महामंत्री कमल कौशिक बताते हैं कि 11 फरवरी 1968 को दीना काका का निधन हो गया। वर्ष 1972 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोगों ने उनके पैतृक गांव नगला चंद्रभान को विकसित करने की पहल की। तब उनके आवास की खोजबीन शुरू हुई। वह कहते हैं कि भले ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय बहुत समय तक गांव में नहीं रहे, लेकिन उनसे गांव वालों को बेहद लगाव था। वह अपने गांव के लोगों से बहुत प्रेम करते थे।

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