Mathura News: गिरिराज जी बोले, आन और, आन और.. नाम पड़ा आन्यौर, घर बैठे पढ़ें ब्रजधाम यात्रा का अनूठा इतिहास
Mathura News कान्हा की मथुरा ऐसे ही तीन लोक से न्यारी नहीं है। संस्कृति में रचे-बसे इन गांवों में ज्यादातर के नाम भी किन्हीं न किन्हीं विशेष कारण से पड़े। जागरण ब्रज की संस्कृति और यहां के गांवों के बारे में भी पाठकों को अवगत कराएगा।
मथुरा, जागरण टीम। ब्रजभूमि का प्रत्येक स्थल धार्मिक इतिहास समेटे है। गोवर्धन परिक्रमा मार्ग पर स्थित है आन्यौर। ये गिरिराज जी की अन्नकूट लीला का हिस्सा है। मान्यता है कि करीब पांच हजार वर्ष पूर्व कान्हा ने देवताओं के राजा इंद्र की पूजा छुड़वाकर गिरिराज महाराज की पूजा कराई। ग्वालों की टोली संग दीपावली पर सप्तकोसीय परिक्रमा लगाकर दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की। ब्रजवासियों को घर-घर से प्रसाद लाने को कहा। इतना भोग लगा कि अन्न का कूट यानी पर्वत नजर आने लगा। गिरिराजजी प्रसाद देखकर ब्रज वासियों से बोले आन और आन और यानी और लाओ और लाओ, तभी से इस स्थली का नाम ''आन्यौर'' पड़ गया।
ये भी है खासियत
गोवर्धन महाराज की पूजा देख इंद्र ने मेघ मालाओं को ब्रज भूमि बहाने का आदेश सुना दिया। मेघों की गर्जना सुन ब्रजवासी घबरा गए। ब्रजवासियों की करुण पुकार सुन सात वर्ष के कन्हैया ने सात दिन-सात रात तक सात कोस गिरिराज जी को अपने बाएं हाथ की कनिष्ठ अंगुली पर धारण कर इंद्र का मान मर्दन किया।
एक नजर
आन्यौर की आबादी करीब दस हजार है। नगर पंचायत के सीमा विस्तार के बाद अब ये नगर पंचायत गोवर्धन का हिस्सा बन गया है। आन्यौर मथुरा जिला मुख्यालय से 23 किमी और गोवर्धन से तीन किमी की दूरी पर स्थित है।
ये भी यहां दर्शनीय
- आन्यौर में श्रीनाथजी की प्राकट्यस्थली है।
-महाप्रभु बल्लभाचार्य जी तथा श्रीनाथजी की प्रथम मिलन स्थली है।
-इंद्र ने जब कान्हा का अभिषेक किया, तो जल से कुंड बना, ये गोविंद कुंड भी है।
-गोविंद कुंड के समीप महाप्रभु जी की बैठक है।
-संकर्षण कुंड दर्शनीय है।
-जीवन साथी की लंबी उम्र के लिए गिरिराज शिला से सिंदूर भी निकलता है।
-कुंड के समीप तमाम संत कुटिया बनाकर रहते हैं।
ओमा पहलवान ने भी दी पहचान
आन्यौर भले ही धार्मिकस्थली है। लेकिन चार दशक पूर्व तक ये ओमा पहलवान के नाम से भी जाना था। यहां के रहने वाले ओमा पहलवान ने देश के दंगल में हिस्सा लिया और कई नामी-गिरानी पहलवानों को हराया।
सद्दू पांडे ने किए श्रीनाथ जी के दर्शन
आन्यौर के सद्दू पांडे के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सबसे पहले श्रीनाथ जी के दर्शन किए थे। अब वह इस दुनिया में नहीं हैं।