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    मथुरा में विलायती बबूल के एक लाख पेड़ उखाड़ कर लगाएंगे कृष्णकालीन पौधे, सुप्रीम कोर्ट से मिल गई है अनुमति

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 03:36 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद मथुरा को द्वापरयुग जैसा बनाने के लिए 37 वन विकसित करेगी। प्रथम चरण में 50 हेक्टेयर क्षेत्र से विलायती बबूल के एक लाख पेड़ उखाड़कर कृष्णकालीन पौधे लगाए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद वन निगम ने कार्य शुरू कर दिया है। अहिल्यागंज गोवर्धन पर्वत परिक्रमा मार्ग और सुनरख बांगर में कदंब पाखर पीपल जैसे पौधे रोपे जाएंगे।

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    मथुरा में विलायती बबूल के एक लाख पेड़ उखाड़ कर लगाएंगे कृष्णकालीन पौधे

    जागरण संवाददाता, मथुरा। उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद कान्हा की नगरी को द्वापरयुग जैसा रूप देने का अभियान चला रहा है। इसके तहत 37 वन विकसित किए जाएंगे। प्रथम चरण में चयनित 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में विलायती बबूल के एक लाख पेड़ एवं झाड़ियां जड़ से उखाड़कर कृष्णकालीन पौधे लगाए जाएंगे। 

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    सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद वन निगम ने इन पेड़ों को जड़ से उखाड़ने का कार्य शुरू करा दिया है। द्वापरयुग में मथुरा में 100 वन थे। समय गुजरने और बढ़ती आबादी के कारण इनका अस्तित्व खत्म होता गया। 

    वन वाले कई इलाकों में अब इमारतें खड़ी हो गई हैं। कोरोना काल के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में खासी वृद्धि हुई है। वर्ष 2024 में पर्यटकों की संख्या का आंकड़ा नौ करोड़ पार कर गया। 

    बढ़ते श्रद्धालुओं को देखकर मथुरा को संवारने का जिम्मा उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद को दी गई है। परिषद के अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। तीर्थ विकास परिषद ने यहां 37 वन विकसित करने की योजना बनाई है। 

    यह कार्य तीन चरणों में 10 वर्ष में पूर्ण होगा। पहले चरण में 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कृष्णकालीन पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए शासन ने धनराशि जारी कर दी है। कृष्णकालीन पौधे लगाए जाने के लिए अहिल्यागंज, गोवर्धन पर्वत, परिक्रमा मार्ग व सुनरख बांगर को चिह्नित किया गया है। 

    इन क्षेत्रों में विलायती बबूल के एक लाख पेड़ व झाड़ियां खड़ी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इनको काटने की अनुमति दे दी है। वन निगम ने इन पेड़ों को जड़ से उखाड़ने का काम शुरू कर दिया है। अब यहां कदंब, पाखर, पीपल प्रजाति के पौधे रोपे जाएंगे। 

    सुनरख बांगर व अहिल्यागंज में 20-20 हेक्टेयर, गोवर्धन पर्वत व परिक्रमा मार्ग पर पांच-पांच हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन विकसित किए जाएंगे। 

    डीएफओ रजनीकांत मित्तल का कहना है कि पहले चरण का काम शुरू हो गया है। वन निगम विलायती बबूल के पेड़ व झाड़ियां उखाड़ने का काम कर रहा है। 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कृष्णकालीन पौधे लगाए जाएंगे।

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