Mathura: बच्ची की दुष्कर्म-हत्या मामले में दोषी को मृत्युदंड, मां बोली- 'पति और बेटी की आत्मा को अब मिली शांति'
दलित बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी महेश उर्फ मसुआ को अदालत ने मृत्युदंड की सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट ब्रिजेश कुमार ने दोषी पर 3.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह घटना 26 नवंबर 2020 को वृंदावन क्षेत्र में हुई थी जब बच्ची लकड़ी लेने जंगल गई और दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी।

जागरण संवाददाता, मथुरा। दलित बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाले को मंगलवार को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई। एडीजे द्वितीय अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट ब्रिजेश कुमार ने दोषी पर 3.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। आरोपित गिरफ्तारी के बाद से ही जेल में बंद है। घटना लगभग पौने पांच वर्ष पुरानी है।
वृंदावन क्षेत्र के गांव में रहने वाले दलित परिवार की आठ वर्षीय बच्ची 26 नवंबर 2020 की शाम चार बजे घर से लकड़ी लेने को पास के जंगल में गई थी। देर रात तक जब बच्ची वापस नहीं आई तो स्वजन ने तलाश शुरू की। पिता ने वृंदावन थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस ने तलाश शुरू की तो 27 नवंबर को सुनरख के जंगल में नाले के पास बच्ची का शव पड़ा मिला। पोस्टमार्टम में बालिका के साथ दुष्कर्म और गला दबा कर हत्या किए जाने की पुष्टि हुई।
पुलिस ने किया था हत्याकांड का राजफाश
पुलिस ने 28 नवंबर 2020 को घटना का राजफाश करते हुए महेश उर्फ मसुआ निवासी ग्राम तरौली सुमाली थाना छाता को गिरफ्तार कर जेल भेजा मुकदमे की सुनवाई एडीजे द्वितीय अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट ब्रिजेश कुमार की अदालत में हुई। शासन की ओर से मुकदमे की पैरवी सहायक शासकीय अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी व विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट रामपाल सिंह ने की।
रामपाल सिंह ने बताया कि अदालत ने महेश उर्फ मसुआ को बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने का दोषी करार देते हुए उसे प्राण निकलने तक फांसी के फंदे पर लटकाए जाने और 3.20 लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
मां की आंखों से छलके आंसू
पौने पांच वर्ष पूर्व बेटी की दुष्कर्म के बाद हत्या करने वाले को न्यायालय ने मृत्युदंड की सजा सुना दी, लेकिन परिवार को इसकी जानकारी तक नहीं हुई। देर शाम को फैसला का पता लगते ही मां की आंखों से छलक उठे। उन्होंने कहा कि गरीबी के कारण वह न्यायालय में पैरवी नहीं कर सकीं। बेटी के साथ हुई वारदात से सदमे में जाने से पति की मृत्यु हो गई। अदालत से न्याय मिलने पर बेटी और पति की आत्मा को शांति मिलेगी।
दो वर्ष की थी बेटी, कक्षा दो में पढ़ती थी
वर्ष 2020 में बेटी आठ वर्ष की थी, जो कक्षा दो में पढ़ती थी। वह पढ़ाई में बहुत ही होशियार थी। उन्होंने कहा कि एक वारदात ने पूरी जीवन बदल दिया। बेटी की मृत्यु के बाद पति सदमे में चले गए। वारदात के दो वर्ष बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। रुपये नहीं होने के कारण वह न्यायालय में पैरवी नहीं कर सकी।
उन्होंने बताया कि मकान के एक कमरे से आने वाले किराए से वह दो बच्चों का पालन पोषण कर रही हैं। बालिका कक्षा तीन और बालक एलकेजी में पढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि न्यायलय के इस फैसले से उनकी बेटी और पति की आत्मा को शांति मिलेगी।
पौने पांच वर्ष में 112 तारीख, एक न्यायाधीश का तबादला
आठ वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में न्यायालय में पौने पांच वर्ष में करीब 112 तारीखें पड़ी। एक न्यायाधीश का तबादला हो गया। दूसरे न्यायाधीश ने फैसला सुनाया। न्यायालय में बयान होने के बाद बालिका के पिता ने तारीखों में जाना बंद कर दिया। सरकारी वकीलों ने पैरवी करके बालिका को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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