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    Banke Bihari: चढ़ावा पर न्यास का कंट्रोल... 'सुप्रीम' आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार ने दिया सेवायतों को बड़ा झटका

    Updated: Tue, 27 May 2025 10:25 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार श्री बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए न्यास का गठन किया गया है। अब मंदिर का संपूर्ण चढ़ावा न्यास के अधीन होगा जिससे सेव ...और पढ़ें

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    बांकेबिहारी मंदिर की सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    विनीत मिश्र, जागरण, मथुरा। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए श्रीबांकेबिहारी जी मंदिर न्यास का गठन कर सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। न्यास के जरिए प्रबंधन में प्रशासन का हस्तक्षेप तो होगा ही मंदिर के चढ़ावे पर सेवायतों का अधिकार भी एक तरह से समाप्त हो जाएगा।

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    अभी दानपात्र के अलावा ठाकुर जी को जो भी आभूषण या नकदी चढ़ाई जाती है, उस पर सेवाधिकारी सेवायत का अधिकार होता है। लेकिन न्यास गठन होने के साथ ही अब चढ़ावे पर न्यास का अधिकार होगा। यह निर्णय मंदिर सेवायतों के लिए भी बड़ा झटका माना जाता है। सेवायतों का मंदिर में रोस्टर भी न्यास ही तय करेगा।

    दरअसल, ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर कोष में केवल वही दान जाता है, जो दानपात्र में डाला जाए या फिर मंदिर के नाम पर चेक दी जाए। लेकिन ठाकुर जी को भक्त जो भी अर्पित करते हैं, उसमें कीमती आभूषण भी होते हैं और नकदी भी। यह सभी गोस्वामी समाज के उन सेवायत का होता है, जिनकी उस दिन सेवा होती है। लेकिन न्यास के क्रियाशील होने के बाद सेवायतों का यह अधिकार खत्म होगा।

    तीसरे पक्ष का नहीं होगा अधिकार

    न्यास गठन की नियमावली में यह साफ लिखा है कि देवता, मंदिर परिसर या फिर श्री बांकेबिहारी के आभूषण में किसी प्रकार के किसी तीसरे पक्ष का अधिकार नहीं होगा। वर्तमान में मंदिर की सभी चल और अचल संपत्ति न्यास की होगी। धनराशि, कोष, जमा आभूषण के साथ ही दान, चढ़ावा और नजर दक्षिणा, भेंट भी न्यास की होगी। न्यास के पास अपना एक मुख्य खाता भी होगा। न्यास के पास अपना एक पूर्णकालिक चार्टर्ड एकाउंटेंट भी होगा। यही नहीं न्यास पुजारी और सेवायतों का रोस्टर भी निर्धारित करेगा।

    गलियारा बनने से श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी

    ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के पूर्व रिसीवर और वरिष्ठ अधिवक्ता नंदकिशोर उपमन्यु कहते हैं कि व्यक्तिगत रूप से देखें तो इससे सेवायतों का नुकसान है, लेकिन यदि यह पैसा जनता के हितार्थ लगाया जाता तो विकास होगा। श्रद्धालुओं को सुविधाएं विकसित होंगी। गलियारा बनने से श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ेगी। उधर, कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे सेवायत रजत गोस्वामी का कहना है कि हमारी अपील पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई है, हम अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद ही कुछ कह सकते हैं।

    तीन वर्ष का होगा न्यासी का कार्यकाल

    जारी आदेश में साफ कहा गया है कि जिन न्यासी को नियुक्त किया जाएगा, उनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। कोई भी न्यासी दो बार से अधिक नियुक्त नहीं किया जा सकेगा। जो पदेन न्यासी होंगे वह पद की अवधि तक रहेंगे। किसी भी न्यासी की मुृत्यु या भी त्यागपत्र के बाद नए सदस्य की नियुक्ति न्यास के अन्य सदस्य बहुमत से करेंगे। बोर्ड के सभी नामित सदस्यों के पास एक मत देने का अधिकार होगा, लेकिन पदेन न्यासी मत नहीं दे पाएंगे, लेकिन वह अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं। कम से कम हर तीन माह में न्यास बोर्ड की बैठक होगी।

    न्यास अपनी पहली बैठक में या फिर उसके बाद समय-समय पर रिक्त होने पर अध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष की नियुक्ति करेगा। न्यास बीस लाख रुपये तक की चल एवं अचल संपत्ति भी खरीद सकता है, इससे अधिक धनराशि के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। बोर्ड हर वित्तीय वर्ष की प्रथम बैठक में होगा।

    नहीं मिलेगा न्यासी को वेतन

    जारी आदेश में साफ कहा गया है कि किसी भी न्यासी को वेतन या वेतनमान नहीं मिलेगा। हां, यदि वह न्यास के लिए लाभ कोई व्यय करते हैं, तो उसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी। न्यासी को दैनिक भत्ता, यात्रा भत्ता और बैठकों में भाग लेने के लिए भोजन और आवास के लिए भत्ता दिया जाएगा।

    दो होंगे मुख्य कार्यपालक अधिकारी

    न्यास में दो मुख्य कार्यपालक अधिकारी होंगे। एक कार्यपालक अधिकारी जो कि एडीएम स्तर का होगा और पूर्णकालिक होगा, उसकी नियुक्ति राज्य सरकार करेगी। इसके अलावा एक मुख्य कार्यपालक अधिकारी पदेन होगा। यह मुख्य कार्यपालक अधिकारी उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के होंगे। इन्हें भी कोई वेतन नहीं दिया जाएगा। नियुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी ही न्यास की अगुवाई करेगा। सारी प्रशासनिक व्यवस्था भी मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अधीन होगी।