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    Mannat Residency Case: हाई कोर्ट ने लगी रोक को हटाया, कहा- अंतिम निर्णय में अवैध पाने पर निर्माण जा सकता है गिराया

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 05:59 PM (IST)

    मथुरा में मन्नत रेजीडेंसी को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निर्माण पर लगी रोक हटा दी है। कोर्ट ने कहा कि अगर अंतिम निर्णय में निर्माण अवैध पाया गया तो उसे गिराया जा सकता है। यह फैसला जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आया। कोर्ट ने यह भी कहा कि नगर निगम की भूमि सुरक्षित है और उस पर कोई अतिक्रमण नहीं है।

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    हाई कोर्ट ने लगी रोक को हटाया

    जागरण संवाददाता, मथुरा। नगर निगम द्वारा मन्नत रेजीडेंसी को भूमि पर निर्माण की एनओसी दिए जाने के मामले में पूर्व में लगाई गई रोक को हाई कोर्ट इलाहाबाद की खंडपीठ ने हटा दिया है। ये फैसला बुधवार को जनहित याचिका की सुनवाई में सुनाया गया। साथ ही अवमानना याचिका को खारिज कर दिया है।

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    कोर्ट में आदेश में साफ कहा है कि अगर अंतिम निर्णय में अवैध पाए जाने पर निर्माण को गिराया जा सकता है। अब इस मामले की सुनवाई 30 जुलाई को होगी। हाईवे किनारे विकास नगर में नगर निगम की भूमि है। इस भूमि में मन्नत रेजीडेंसी के पार्टनर रितेश अग्रवाल आदि सहखातेदार हैं।

    वर्ष 2023 में रितेश अग्रवाल आदि ने नगर निगम में अपनी भूमि में निर्माण के लिए एनओसी मांगी थी। पूर्व नगर आयुक्त ने निर्माण की एनओसी जारी की थी। इसके बाद मन्नत ग्रुप ने अपने हिस्से की भूमि पर विला आदि बनाने का काम किया। वर्ष 2024 में पार्षद ब्रजेश खरे आदि ने इस मामले में पहले स्थानीय कोर्ट में वाद दायर किया, जिस पर स्टे लगाया गया था।

    पार्षदों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एनओसी निरस्त किए जाने के लिए जनहित याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने निर्माण पर रोक लगाते हुए निगम से हलफनामा मांगा था। 14 जुलाई को नगर आयुक्त ने अपना हलफनामा कोर्ट में दाखिल कर दिया। बुधवार को इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।

    खंडपीठ ने इस मामले में पूर्व में निर्माण पर लगी रोक को हटा दिया है। खंड पीठ ने कहा, नगर निगम ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह पाया कि नगर निगम की भूमि सुरक्षित है और उस पर कोई अतिक्रमण नहीं है। एनओसी की वैद्यता पर अंतिम निर्णय तक उसका कोई प्रभाव नहीं माना जाएगा।

    अंतिम निर्णय में यह अवैध पाया गया तो निर्माण को गिराया जा सकता है। कहा कि दीवानी न्यायालय द्वारा जारी स्टे आदेश अभी भी प्रभावी है, यदि इसका उल्लंघन होता है तो धारा 39 नियम 2-ए के तहत उचित कार्रवाई दीवानी न्यायालय में की जा सकती है।

    इस मामले में प्रतिवादियों को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका दिया गया है। मन्नत ग्रुप के पार्टनर रितेश अग्रवाल ने कहा है कि हमें न्यायालय पर पूर्ण विश्वास है और हमें वहीं से न्याय की उम्मीद है। जीत हमेशा सच की होती है, और हम उसी सच्चाई के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

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