तीन वर्ष से लगातार पराली जलाने में यूपी में पहले नंबर पर है ये शहर, अब तक सामने आईं 75 घटनाएं
मथुरा जिला पिछले तीन वर्षों से पराली जलाने में प्रदेश में पहले स्थान पर है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ा है। दीपावली के दौरान पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। एक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है, और प्रशासन किसानों को जागरूक कर रहा है और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दे रहा है। पराली को गोशालाओं में भेजने की व्यवस्था की जा रही है।

जागरण संवाददाता, मथुरा। विगत तीन वर्ष से पराली जलाने के मामले में प्रदेश भर में मथुरा पहले नंबर पर है। इस बार भी मथुरा पराली जलाने के मामले में शीर्ष पर है। इससे मथुरा में वायु प्रदूषण का ग्राफ बढ़ा है। धान कटाई तक सामान्यत: एक अक्टूबर से 15 नवंबर तक पराली जलाने की घटनाएं सामने आती हैं। अब तक जिले में 75 घटनाएं सामने आई हैं।
प्रदूषण विभाग के समीर एप के 10 से 22 अक्टूबर तक के आंकड़ों पर गौर करना आवश्यक है। एक से नौ अक्टूबर तक 50-6्र0 वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) था। वहीं धान फसल कटाई के समय में 10 अक्टूबर को यह 100 एक्यूआइ हो गया, जबकि अगले दिन 11 अक्टूबर को 115 एक्यूआइ हो गया।
इसके कुछ दिन तक ग्राफ कम रहा, जिसके बाद 18 अक्टूबर को वायु प्रदूषण 129 एक्यूआइ तक पहुंच गया। 19 अक्टूबर को वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा, जब 156 एक्यूआइ हो गया, जबकि 20 अक्टूबर को वायु प्रदूषण 135 एक्यूआइ तक हो गया। इसके अगले दिन मंगलवार को 137 एक्यूआइ हो गया, जबकि 22 अक्टूबर को 121 एक्यूआइ हो गया।
इससे साबित हुआ कि दीपावली की आड़ में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ीं, जिससे वायु गुणवत्ता और खराब हुई। वायु प्रदूषण बढ़ने का असली कारण एनसीआर या समीपवर्ती स्थानों पर पराली जलना है। इसी समय धान की पैदावार का अंतिम चरण चलता है, जहां धान की कटाई होती है। इसी फसल अवशेष के जलने से वायु प्रदूषण बढ़ता है।
पराली जलने से न रोकने पर प्राविधिक सहायक निलंबित
जासं, मथुरा: उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी छाता कार्यालय में कार्यरत प्राविधिक सहायक नरेंद्र पाल सिंह को अपनी आवंटित ग्राम पंचायत भरनाखुर्द में पराली जलने की घटनाओं की रोकथाम न करने के कारण राजकीय सेवा से निलंबित कर दिया गया है। उनको डीडीए कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। उप कृषि निदेशक वसंत कुमार दुबे ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं।
तीन दिन में 40 घटनाएं हुईं
जासं, मथुरा: जिले में पराली जलने की 15 सितंबर से लेकर अब तक कुल 75 घटनाएं हुई हैं। इनमें से 10 अक्टूबर से लेकर अब तक पराली जलने की अधिकांश घटनाएं हुई हैं। पिछले तीन दिन में ही 40 घटनाएं सामने आई हैं। दीपावली पर 20 अक्टूबर को 17 घटनाएं पराली जलाने की चिन्हित की गईं।
पराली न जलाने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। पराली जलाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दोषी के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। प्रशासन पराली अपने खर्चे पर गोशालाओं में भेजा जाएगा। - सीपी सिंह, जिलाधिकारी
एक माह में प्रदेश में पराली दहन की घटनाएं-
75-मथुरा
42-बाराबंकी
39-सहारनपुर
35-पीलीभीत
36-अलीगढ़
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