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    11 साल बाद दहलीज पार करेंगे टटिया स्थान के श्रीमहंत

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 09 Mar 2021 06:59 AM (IST)

    बुधवार को गोशाला में संत सेवा के लिए पहुंचेंगे गोशाला

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    11 साल बाद दहलीज पार करेंगे टटिया स्थान के श्रीमहंत

    संवाद सहयोगी, वृंदावन: कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक में देश के सभी वैष्णव साधकों ने डेरा डाला है। वे यहां कालिदी किनारे साधना कर रहे हैं। कुंभ बैठक में आए संत, महंत, महामंडलेश्वरों के साथ ब्रजमंडल के सभी वैष्णव संतों की टटिया स्थान(आश्रम) में बुधवार को संत सेवा होगी। आश्रम की गोशाला में संत सेवा का आयोजन किया गया है। सेवा करने के लिए खुद टटिया स्थान के श्रीमहंत 11 साल बाद आश्रम की दहलीज पार करके गोशाला पहुंचेंगे। इससे पहले वे वर्ष 2010 में आयोजित हुई कुंभ बैठक में शामिल होने के लिए बाहर निकले थे।

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    स्वामी हरिदासीय परंपरा के प्रमुख टटिया स्थान (आश्रम) में परंपरा है कि जो महंत गद्दी पर विराजित होता है, उसे कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है। इसके तहत महंत आश्रम की दहलीज पार नहीं करते। लेकिन, कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक के दौरान 10 मार्च को आश्रम द्वारा बैठक में शामिल सभी श्रीमहंतों, महंतों के अलावा वृंदावन सहित ब्रज चौरासीकोस के आश्रमों के महंतों व साधुओं का झरा(संपूर्ण) भंडारे का आयोजन है। संतों की संख्या अधिक होने के चलते भंडारे का आयोजन आश्रम के सड़क पार स्थित गोशाला में किया जाएगा। इस दिन संतों की सेवा के लिए खुद टटिया स्थान के महंत श्रीश्री 108 श्रीस्वामी राधा बिहारी दास महाराज आश्रम की दहलीज पार कर गोशाला पहुंचेंगे। यहां आज भी दीपक से होता है उजाला

    ठा. बांकेबिहारीजी के प्राकट्यकर्ता स्वामी हरिदास की विरक्त परंपरा का टटिया स्थान अपना विशेष महत्व रखता है। यहां ठाकुरजीकी सेवा के साथ संतसेवा, लता-पता सेवा, गोसेवा तो होती है। आज तक आश्रम परिसर पर आधुनिकता की छाया तक नहीं पड़ी है। यहां आज भी रात के अंधेरे में उजाला रखने के लिए दीपक ही उपयोग किए जाते हैं। आधुनिकता से परे किसी भी तरह के उपकरणों का उपयोग आश्रम की सेवा में नहीं किया जाता।