जहां चरण पड़े संतन के, नतमस्तक हो गई श्रद्धा
शोभायात्रा के रास्तों पर ब्रज रज तन से लगाने को आतुर रहे श्रद्धालु

मनोज चौधरी, मथुरा: भजन-कीर्तन की धुन पर नृत्य के संग-संग धीरे-धीरे संत और उनके पीछे-पीछे अनुयायियों का कारवां मोक्षदायिनी यमुना के किनारे पहुंचा, तो श्रद्धालु नतमस्तक हो गए। जहां-जहां से संत गुजरे, वहां की रज सिर माथे पर लगाने को श्रद्धालु बालू में लोटपोट होते रहे।
बांके बिहारी के धाम वृंदावन में कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक के पहले शाही स्नान के लिए यहां की कुंज गलियों से होकर अखाड़ों के संत-महंत की शोभायात्रा गुजरी। वापस जब बैठक क्षेत्र में शोभायात्रा पहुंची, तो शोभायात्रा के रास्तों पर श्रद्धा भी नतमस्तक दिखाई दी। दूर-दूर से आए श्रद्धालु रास्तों पर लोट-पोट होने लगे। मानों वह संतों के श्रीचरणों में ही सब पाना चाहते हैं। भीड़ के कारण बालू उड़ी, तो श्रद्धालु उसमें सराबोर हो गए। मुंबई के कंदावली से आईं शिल्पा, गोहिल, पूजा और सीता कहती हैं, आज सनातन संस्कृति का अद्भुत अहसास हुआ। वे कहती हैं, आज का दिन उनके लिए सबसे सौभाग्य का दिन है। वैष्णव आनंद उनको यहां आकर प्राप्त हुआ। वह आज मन भर ब्रज में नहाई। यमुना में स्नान किया और अपने आप को धन्य किया। सूरत के गोपी बाजार से आई पारुल बेन शुक्रवार रात यमुना किनारे आ गईं थीं। सुबह से यमुना के तट पर ब्रज रज के बीच बैठकर अपने आराध्य के ध्यान में मग्न रहीं। उनके साथ आईं शीला बेन तो बार-बार ब्रज रज में लोटपोट होतीं और हाथ जोड़कर यमुना को नमस्कार करतीं। दमोही की सीमा तो अपनी सुध-बुध खोकर उस राह पर बैठी थीं, जहां होकर साधु-संत यमुना स्नान के लिए जा रहे थे। वह बार-बार ब्रज रज को मस्तक से लगातीं। दिल्ली के वजीराबाद से अपनी सहेलियों के साथ आईं शिखा गर्ग कहती हैं, नयनभिराम, मनमोहक ²श्य जीवन के 57 वें बसंत में देखने को मिला। बड़े-बड़े संत महात्माओं के दर्शन हो गए।
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