सुदर्शन चक्र के अवतार थे भगवान निम्बार्काचार्य
भगवान निम्बार्काचार्य को गोवर्धन के समीप निबग्राम में तपस्या करते हुए यती स्वरूप धारी ब्रह्माजी निम्ब वृक्ष में सूर्य भगवान के दर्शन करने से निम्बार्क नाम की ख्याति प्राप्त हुई।

संवाद सहयोगी, वृंदावन: भगवान निम्बार्काचार्य को गोवर्धन के समीप निबग्राम में तपस्या करते हुए यती स्वरूप धारी ब्रह्माजी निम्ब वृक्ष में सूर्य भगवान के दर्शन करने से निम्बार्क नाम की ख्याति प्राप्त हुई। उन्हें सुदर्शन चक्रावतार भी माना जाता है।
श्रीजी की बड़ी कुंज में भगवान निम्बार्काचार्य जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में यह बात संतदास ने कही। चंदप्रकाश शर्मा ने कहा आचार्य परमात्मा के स्वरूप हैं। आचार्य और भगवान में भेद नहीं करना चाहिए। महंत सच्चिदानंद ने कहा आचार्यों का प्रादुर्भाव ही जीव जगत के कल्याण के लिए हुआ है। डा. नंदकुमार शर्मा ने कहा आचार्यों को वाणी का पठन-पाठन करना चाहिए। डा. रामकृपालु त्रिपाठी ने चारों संप्रदाय का वर्णन करते हुए कहा भगवान निम्बार्काचार्य ने युगल उपासना का महामंत्र दिया। स्वामी गोविदानंद तीर्थ ने कहा निम्बार्क ने स्वाभाविक द्वैताद्वैत सिद्धांत के माध्यम से माधुर्य उपासना के लिए जीवों को प्रेरित किया। डा. जयेश अलि ने वाणी ग्रंथों का संदर्भ दिया। आचार्य बद्री, बाबा किशोरीशरण भक्तमाली, डा. शैलेंद्रनाथ पांडे, नारायादास, नेत्रपाल शास्त्री, पुरुषोत्तमशरण शास्त्री, गोवर्धन शरण, ब्रजकिशोर त्रिपाठी, अमृतकिशोर शरण, दामोदर शरण, मदनमोहन शरण, फक्कड़ बाबा, अशोक मौजूद रहे। आचार्य श्री निम्बार्क भगवान का मनाया जयंती महोत्सव
मथुरा: सौंख रोड के श्री निम्बार्क धनीराम विद्यालय में आचार्य श्री निबार्क भगवान का 5116वां जयंती महोत्सव मनाया गया। निम्बार्काचार्य श्री राधा सर्वेश्वर शरण देवाचार्य का चतुर्थ पदार्पण महोत्सव भी बनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री निम्बार्क भगवान के ध्यान पूजन एवं 24 घंटे का अखंड युगल नाम संकीर्तन से किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मनमोहन शरण फक्कड़ बाबा ने निबार्क भगवान के बारे में बताया। विशिष्ट अतिथि राधिका शरण ने कहा कि निम्बार्क भगवान ने प्रेमा भक्ति को ही उत्तमा भक्ति कहा है। विद्यालय प्रबंधक धनीराम शर्मा ने कहा कि श्री निम्बार्क भगवान के अनुसार जीवात्मा परमात्मा के समान ज्ञान स्वरूप है। प्रधानाचार्य कृष्ण गोपाल गौतम ने विद्यालय पधारे सभी आगंतुकों का स्वागत तथा आभार व्यक्त किया। संचालन कृष्ण चरण गौतम ने किया। कार्यक्रम में तुरियानंद महाराज, महेश गौतम, हरप्रसाद, चेतन त्रिपाठी, मूल कृष्ण गौतम, रामेश्वर प्रसाद, बेनी राम शर्मा, हर स्वरूप गौतम, श्याम सुंदर, सत्यवती, सर्वेश्वरी, प्रेमवती श्याम बिहारी, राधा बिहारी सरिता, प्रीति आदि मौजूद रहे।
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