पहले डीएम को कराया इंतजार फिर आए तो जींस शर्ट पहनकर, चढ़ गया DM सीपी सिंह का पारा, लेखपाल सस्पेंड
मथुरा के जैंत थाने में डीएम के निरीक्षण के दौरान क्षेत्रीय लेखपाल अनुपस्थित पाए गए। बुलाने पर वे देर से पहुंचे और बिना वर्दी व दस्तावेज के पेश हुए जिससे नाराज होकर डीएम ने उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया। उन पर शासकीय कार्यों में लापरवाही बरतने का आरोप है और मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।

जागरण संवाददाता, मथुरा। जैंत थाने में शनिवार को आयोजित थाना दिवस में डीएम के निरीक्षण में क्षेत्रीय लेखपाल गायब मिले। बुलाने पर भी लेखपाल ने काफी देर तक डीएम को इंतजार कराया। लेखपाल काफी देर बाद यूनिफार्म की जगह जींस पेंट व शर्ट पहनकर बिना दस्तावेज के पहुंचे तो डीएम का पारा हाई हो गया। नाराजगी जताते हुए लापरवाही पर निलंबित कर दिया।
शनिवार को जैंत थाना दिवस का डीएम ने किया औचक निरीक्षण
जिला प्रशासन को मौजा जैंत में शासकीय कार्य के लिए ग्रामसभा की भूमि की आवश्यकता है। शनिवार को जैंत थाने में भी थाना दिवस आयोजित किया गया। डीएम सीपी सिंह ने अचानक थाना दिवस में पहुंच गए। क्षेत्रीय लेखपाल हजारीमल को बुलाया तो वे गायब थे।
इस पर डीएम ने तहसीलदार को थाना दिवस में क्षेत्रीय लेखपाल को संबंधित राजस्व अभिलेखों के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिए थे। तहसीलदार ने इसकी सूचना क्षेत्रीय लेखपाल हजारीलाल को फोन पर देते हुए तत्काल थाना पहुंचने के लिए कहा।
पहले मिले गायब, बुलाने पर बिना अभिलेख के पहुंचे थे दिवस में
इसके बावजूद हजारीलाल लेखपाल थाना जैंत पर काफी बिलंब से पंहुचे। साथ ही वह यूनिफार्म के बजाय जींस पेंट व शर्ट व दस्तावेज के डीएम के सामने पेश हुए। डीएम ने लेखपाल से खतौनी व राजस्व मानचित्र मांगे तो वे नहीं दिखा सके। कागज न लाए जाने से भूमि की तलाश भी नहीं हो पाई। नाराज डीएम ने लेखपाल को भारी लापरवाह बताते हुए निलंबित कर दिया। निलंबित लेखपाल को तहसील मथुरा के भूलेख कंप्यूटर कार्यालय से संबद्ध किया गया है। अनुशासनिक कार्रवाई के लिए तहसीलदार मथुरा को जांच अधिकारी बनाते हुए एक माह में जांच रिपोर्ट आख्या मांगी है।
ये है लेखपालों की यूनिफार्म
मथुरा। सितंबर 2024 में प्रदेश में राजस्व विभाग के लेखपाल, अमीन, राजस्व निरीक्षक व नायब तहसीलदारों के लिए सफेद शर्ट और ब्लेजर पहनना अनिवार्य किया गया। ब्लेजर पर उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद का चिह्न भी लगाया जाता है। राजस्व परिषद ने प्रदेश के सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को इसके निर्देश भी दिए थे। हालांकि इसका पालन कभी नहीं हुआ है।
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