बरसाना के हुरियारों पर बरसीं लाठियां, मुस्करा उठे नंदलाल; अमर प्रेम के रंगों से सतरंगी हुआ नंदीश्वर पर्वत
नंदगांव में अमर प्रेम के रंग बरसे तो नंदीश्वर पर्वत भी सतरंगी सागर में आनंद के होते लगाता नजर आया। अंबर से टेसू के रंगों की वर्षा ने राधाकृष्ण के स्वर्णिम इतिहास की गवाही दी। केसरयुक्त सतरंगी गुलाल ने हवाओं को सुगंधित कर दिया। संगीत की सरगम में मीठी गालियां सुनाई दीं। बरसाना में लठामार होली के ठीक अगले दिन कान्हा के घर में भी खूब होली हुई।

किशन चौहान, नंदगांव (मथुरा)। नंदगांव में अमर प्रेम के रंग बरसे तो नंदीश्वर पर्वत भी सतरंगी सागर में आनंद के होते लगाता नजर आया। अंबर से टेसू के रंगों की वर्षा ने राधाकृष्ण के स्वर्णिम इतिहास की गवाही दी। केसरयुक्त सतरंगी गुलाल ने हवाओं को सुगंधित कर दिया। संगीत की सरगम में मीठी गालियां सुनाई दीं।
बरसाना में लठामार होली के ठीक अगले दिन कान्हा के घर में भी खूब होली हुई। ढोल नगाड़ों की धुन पर हुरियारे और हुरियारिन का अद्भुत नृत्य हुआ। नंदगांव की हुरियारिनों ने बरसाना के हुरियारों पर खूब प्रेमपगी लाठियां बरसाईं। ढाल से हुरियारों ने हर वार का बचाव किया। पुरातन संस्कृति से सजी नंदगांव की लठामार होली ने द्वापरयुगीन उत्सव को जीवंत कर दिया।
मंगलवार सुबह से ही नंदगांव में रंगों की झमाझम वर्षा तन-मन को तरबतर करती रही। भक्ति में मस्ती का गजब समावेश किए यह उत्सव नंद भवन के आंगन में सिमटा रहा। मर्यादा के लंबे घूंघट की ओट से होठों पर मुस्कान तो हाथों में प्रेम पगे लठ और हंसी ठिठोली का मस्ती भरे लहजे से जवाब।
प्रेम से पगे लठ खाने के लिए हुरियारों का उल्लास भी चरम पर था। बरसाना में जाकर राधारानी की सखियों के लठों से घायल हुए हुरियारों का आज नंदगांव की हुरियारिनों ने लठों से सबक सिखाकर बदला लिया। नंद भवन के वातावरण में घुली मस्ती कृष्ण बलराम और राधारानी की होली का यशोगान करती रही।
नंदगांव की रंगीली गली में अनूठी परंपरा जीवंत हुई तो साक्षी बनने को विभिन्न प्रदेशों के श्रद्धालु मौजूद थे। बरसाना की लठामार होली के अगले दिन मंगलवार को यानी फाल्गुन शुक्ल दशमी को बरसाना के हुरियारे नंदगांव की हुरियारिनों से होली खेलने उनके गांव पहुंचे। यशोदा कुंड पर नंदगांव के लोगों ने बरसाना के हुरियारों का स्वागत किया। यहां से तैयार होकर हुरियारे कान्हा से फगुआ मांगने के बहाने से होली खेलने नंदभवन पहुंचे।
लठामार होली से पूर्व बरसाना और नंदगांव के गोस्वामी समाज के बीच गायन हुआ। करीब एक घंटे तक रंगों से सराबोर होने के बाद बरसाने के हुरियारे नंदगांव की गोपियों से हंसी मजाक करते हुए रंगीली गली से निकले। गोपियों के साथ होली के रसियों का गायन कर नृत्य किया।
हुरियारों ने जिस ऊंची आवाज से गाली का प्रयोग किया, उसी दमखम से नंदगांव की हुरियारिनों ने लठ मारना शुरू कर दिया, और इसी के साथ लठामार होली शुरू हो गई। हुरियारिन पूरे जोश से लठ चला रही थीं, तो बरसाने के हुरियारे भी उछलते कूदते हुए अपनी ढाल से बचाव कर रहे थे। सूर्य ने ढलने का इशारा किया तो लठामार होली ने उत्सव को विराम दे दिया।

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