Saint Premanand: प्रेम और भक्ति का अद्भुत संगम, क्यों संत प्रेमानंद की आंखों से बहे आंसू? ब्रजवासियों के सामने हुए दंडवत
राधारानी के साधक संत प्रेमानंद अचानक नंदगांव पहुंचे और नंदभवन में कन्हाई के दर्शन कर भावविभोर हो गए। उन्होंने टेर कदंब में राधा नाम की टेर लगाई और खेतों में काम कर रहे ब्रजवासियों के सामने दंडवत हुए। संत ने कहा कि ब्रजवासियों का दर्शन करना उनका सौभाग्य है। इस दौरान ग्रामीणों की आंखों में आस्था के आंसू थे।

जागरण संवाददाता, मथुरा। यही तो एक संत के प्रति अपार आस्था और लगाव है। राधारानी के साधक संत प्रेमानंद अचानक उस नंदगांव पहुंचे, जहां की गलियों में कन्हाई का बचपन बीता। नंदभवन में नंदबाबा के परिवार के दर्शन किए, तो खुशी में आंखों से आंसू बह निकले। ब्रजवासियों को पता चला, जो जैसे था संत के दर्शन के लिए दौड़ पड़ा। जिनके दर्शन को दुनिया भर से लोग आते हैं वह खुद कन्हाई के दर्शन को पहुंचे थे।
बिना सूचना अचानक नंदभवन पहुंचे संत प्रेमानंद, कान्हा के दर्शन कर बहे आंखों से आंसू
नंदगांव की सुबह प्रतिदिन की तरह ही थी।। घड़ी की सुई करीब सवा नौ पर पहुंची तभी अचानक संत प्रेमानंद तीन गाड़ियों से नंदगांव पहुंचे। साथ में करीब एक दर्जन बाइक से अनुयायी थे। नंद किला पहुंचे तो अचानक उन्हें अपने बीच देख श्रद्धालुओं को विश्वास नहीं हुआ।। वह सीढ़ियों पर चढ़ने लगे तो ग्वालियर के दयाराम गुर्जर दंडवत हो गए। वह संत के चरणों से लिपटने की अभिलाषा में थे। लेकिन संत के शिष्यों ने उन्हें अलग किया।
टेर कदंब में लगाई राधा नाम की टेर, खेतों में काम कर रहे ब्रजवासियों के सामने दंडवत
मंदिर में कन्हाई की कभी मूरत निहारते तो कभी उनका पालन करने वाले नंदबाबा को निहारते। आंखे अपलक बस अपने आराध्य को देखती रहीं। प्रेमानंद की आंखें बता रहीं थीं कि आज आंखों से ये आंसू नहीं प्रेम का आनंद बरस रहा है। कोई दस मिनट में पूरे गांव में शोर मच गया। फिर क्या था। पूरा गांव संत की एक झलक पाने को आ गया। सेवायतों ने पटका पहना स्वागत किया। बृजवासियों को प्रणाम कर संत अनुयायियों के साथ गाड़ी की ओर बढ़े तो श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी। उसे संभालने में पुलिस का पसीना छूट गया। फिर मंदिर से नीचे आए और यहां विराजमान आशेश्वर महादेव के दर्शन किए।
संत की आंखों से बहे आंसू
कोई तीन मिनट रुके और फिर नंदगांव से कोई दो किमी दूर स्थित उस कदंब टेर पहुंचे जहां कान्हा गोचरण के दौरान कदंब के पेड़ के नीचे बैठकर गायों को टेर लगाकर बुलाते थे। यहां मंदिर में दर्शन किए और फिर कदंब के नीचे बैठे। यहां फिर संत प्रेमानंद की आंखों से आंसू बहे। शायद इसलिए कि लाला की लीलास्थली पर दर्शन का सौभाग्य मिला। यहां राधा राधा की टेर लगाई तो सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु और गांववासी भी टेर लगाने लगे। करीब 15 मिनट यहां रुके और फिर चले जाब गांव।
राधारमन के किए दर्शन
यहां राधारमण के दर्शन किए। यह स्थल भी कान्हा की लीलाओं का साक्षी है। ये एक संत हृदय ही था।। खेतों में कुछ श्रद्धालु काम कर रहे थे। संत का काफिला देखा तो हाथ देकर रुकवाया। गाड़ियों के पहिए थम गए। संत प्रेमानंद नीचे उतरे और चरण छूने को ग्रामीण बढ़े तो हाथ के इशारे से रोक दिया। फिर कुछ उन ब्रजवासियों के दंडवत हुए, जो कान्हा के घर के हैं।
ब्रजवासियों के दर्शन करने का मिला अवसर
संत प्रेमानंद ने कहा ये मेरा सौभाग्य है कान्हा राधा और उनके अपने ब्रजवासियों का दर्शन करने का अवसर मिला। ब्रजवासियों से मिलन का ये अदभुत दृश्य था। इस मिलन को देख ग्रामीण चंद्रभान और सुशील की आंखों में आस्था के आंसू थे और संत प्रेमानंद की आंखों ब्रजवासियों के दर्शन की खुशी। करीब सवा 11 बजे काफिला छाता होते हुए वृंदावन के लिए रवाना हो गया और आनंद में डूबे ग्रामीण बहुत दूर तक आंखों में खुशी के आंसू लिए भागती कारों को निहारते रहे, तब तक जब तक वह आंखों से ओझल न हो गईं।

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