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    हेमा मालिनी ने ब्रज रज उत्सव में यशोदा बनकर मोहा मन: कान्हा पर बरसाया वात्सल्य, आंखों में समाया द्वापर

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 10:06 AM (IST)

    मथुरा में ब्रज रज उत्सव में सांसद हेमा मालिनी ने यशोदा-कृष्ण नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। उन्होंने यशोदा के रूप में कान्हा की नटखट लीलाओं का मंचन किया, जिसे देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए और द्वापर युग में खो गए। कान्हा के जन्म की खुशी में गोकुल की गलियां भी शामिल हो गईं। प्रस्तुति में कलाकारों ने मातृत्व और कृष्ण के बालरूप को जीवंत कर दिया।

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    प्रस्तुति के दौरान हेमा मालिनी।

    जागरण संवाददाता, मथुरा। उफान मारती यमुना की लहरें, कंस के कारागार में कन्हैया का जन्म। नटवर नागर को टोकरी में रख यमुना पार कराते वसुदेव। र्षा से कन्हाई को बचाता कालिया नाग। यह सब कुछ स्क्रीन पर था, लेकिन दर्शक द्वापरयुग में खो गए। कभी मीरा, कभी कान्हा की राधा बनकर नृत्य नाटिका प्रस्तुत करने वाली सांसद हेमा मंगलवार को वात्सल्यमयी मां यशोदा के रूप में थीं। वह यशोदा जिनकी कान्हा में जान बसती है। मां के भाव, कान्हा की नटखट लीलाओं ने मन को मोह लिया।

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    ब्रज रज उत्सव में सांसद हेमा ने दी यशोदा-कृष्ण नृत्य नाटिका की मोहक प्रस्तुति

     

    मौका था धौलीप्याऊ स्थित रेलवे मैदान में चल रहे ब्रजरज उत्सव का। प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी ने यशोदा-कृष्ण नृत्य नाटिका का मंचन किया। बड़ी सी स्क्रीन पर घनघोर काली घटाएं छाईं, तेज वर्षा शुरू हुई, तो यमुना भी उफान पर थी। वसुदेव टोकरी में कान्हा को लेकर गोकुल के लिए रवाना हुए। सामने ये दृश्य था और दर्शकों की पलक तक नहीं झपकी। गोकुल में जब सुबह कान्हा के जन्म की सूचना मिलीं तो यशोदा और नंदबाबा खुशी से फूले नहीं समाए।

    खुशियों का शोर मचाया तो गोकुल की गलियां भी मानों इस खुशी में शामिल हो गईं। आंखों में कृष्ण जन्म की गाथा थी और मन द्वापर में खो गया। नृत्य के हर भाव, मुद्रा और लय के साथ हेमा मालिनी ने साथी कलाकारों के साथ मातृत्व की कोमलता और कृष्ण के बालरूप की नटखट छवि को ऐसे प्रस्तुत किया कि श्रोता भी पूरी तरह डूब गए।

     

    कान्हा की नटखट लीलाएं, मां के भाव देख ब्रजवासी भी हर्षाए

     

    नृत्य नाटिका की संगीतमय पृष्ठभूमि, शास्त्रीय रागों और भावप्रधान गीतों ने प्रस्तुति को दिव्यता प्रदान की। प्रकाश व्यवस्था और मंच सज्जा ने हर दृश्य को अलौकिक बना दिया। कान्हा माखन चुराते और यशोदा का स्नेहपूर्वक डांटना, सबको भाया। इन भावुक पलों को दर्शकों ने आंखों में बसाया तो झर-झर आंसू निकल पड़े। यह पल ही ऐसा था कि आंसू भी आंखों में कैदी बनकर नहीं रहना चाहते। कलाकारों की संगति, सधी ताल और मोहक अभिनय ने मंच को पूर्णता दी।

    बीच-बीच में कान्हा के जयकारे लगते, तो मैया यशोदा की भी खूब जय-जयकार हुई। कान्हा ने मिट्टी खाई, मां ने डांट लगाई, मुंह खोला तो ब्रह्मांड मुंह के अंदर था। साक्षात ईश्वर का दर्शन कर यशोदा मानों भाव विह्वल हो गईं। करीब 40 मिनट की इस प्रस्तुति में 35 कलाकारों ने साथ दिया। जन्म से लेकर कान्हा और फिर कृष्ण बनने तक पांच कलाकारों ने कन्हाई का अभिनय किया।


    ये रहे मौजूद

     

    बांकेबिहारी मंदिर उच्चाधिकार प्रबंधन समिति के अध्यक्ष अशोक कुमार, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र, एडीजी आगरा जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ, मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह, डीआइजी शैलेश पांडेय, डीएम चंद्रप्रकाश सिंह, एमवीडीए उपाध्यक्ष एसबी सिंह, परिषद के सीईओ सूरज पटेल, एमवीडीए सचिव आशीष कुमार सिंह मौजूद रहे।