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    Elephant Rescue Centre: सर्कस की बेड़ियां तोड़े हुए एक दशक पूरा, अब इठलाकर चलती है हथिनी मिया

    By Viveka Nand Edited By: Prateek Gupta
    Updated: Fri, 28 Nov 2025 07:31 PM (IST)

    मथुरा में सर्कस से बचाई गई हथिनी मिया ने वाइल्डलाइफ एसओएस में दस साल पूरे किए। कभी यातनाएं झेलने वाली मिया अब स्वस्थ है, उसके पैरों के घाव भर गए हैं। वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस ने उसे तमिलनाडु से छुड़ाकर मथुरा के हाथी संरक्षण केंद्र में पहुंचाया था। लगातार इलाज से मिया को नया जीवन मिला, अब वह दूसरी हथिनी रिया के साथ खुशी से रहती है।

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    हाथी संरक्षण केंद्र चुरमुरा पर हथिनी मिया।

    जागरण संवाददाता, मथुरा। सर्कस में करतब दिखाने के लिए प्रयोग की जा रही हथिनी मिया ने वाइल्डलाइफ एसओएस में एक दशक पूर्ण कर लिया। अब उसके चोटिल पैरों के घाव लगभग भर गए हैं। वह पूरी तरह स्वस्थ है।

    इसे वाइल्डलाइफ की टीम दस वर्ष पूर्व यहां हाथी संरक्षण केंद्र लाई थी। वर्ष 2015 में वन विभाग के सहयोग से वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा तमिलनाडु से मुक्त कराकर मथुरा के फरह स्थित हाथी संरक्षण केंद्र लाया गया।

    उसे कैद कर सर्कस में करतब दिखाने में उपयोग किया जा रहा था। उसे यातनाएं दी जाती थी। उसके शरीर व पैर में काफी चोट थी। पैरों के नाखून कटे व फटे थे। कार्नियल अपारदर्शिता के कारण उसे ठीक से दिखाई भी नहीं देता था।

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    इस हथिनी मिया कई वर्ष तक ठीक स्थिति में नहीं थी। निरंतर उपचार से धीरे-धीरे उसके नाखून ठीक होने लगे। आज हथिनी मिया उसी सर्कस से बचाई गई हथिनी रिया के साथ एक बाड़े में रहती है। दोनों साथ-साथ टहलती हैं।

    वाइल्ड लाइफ एसओएस के सह संस्थापक सीईओ कार्तिक नारायण ने बताया, दस वर्ष नियमित उपचार से हथिनी मिया का स्वास्थ्य अब काफी हद तक ठीक है। सचिव गीता शेषमणि ने बताया, लगातार उपचार से हथिनी मिया को नया जीवन मिला है।

    वहीं उसे प्रताड़ना से भी आजादी मिल गई है। पशु चिकित्सा सेवा के उपनिदेशक डा. इलिया राजा ने बताया, मिया की वृद्धावस्था देखभाल की ज़रूरत व्यापक हैं, लेकिन वह उपचार के प्रति बहुत अच्छी प्रतिक्रिया दे रही है। उसे अब आराम से जिंदगी गुजारना अच्छा लगता है।