मथुरा के गोकुल में नंद-यशोदा के द्वार बज रही बधाई
गोकुल का नंदचौक आस्था का सागर बना है। 'नंद-यशोदा के घर बज रही बधाई',' हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की' भजनों पर झूम रहे श्रद्धालुओं की आस्था चरम ...और पढ़ें

मथुरा (जेएनएन)। गोकुल का नंदचौक आस्था का सागर बन चुका था। 'नंद-यशोदा के द्वार बाज रही बधाई',' हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की' 'मोर कुटी पर मोर बन आए कान्हा' आदि भजनों पर झूम रहे श्रद्धालुओं की आस्था चरम पर है। गोकुल की गलियां, मंदिर, घर लाला के जन्म की खुशी में झूम रहे हैं। सुबह से ही नंदबाबा को बधाई देने वालों का तांता लगा है। नंदबाबा की भी खुशी का ठिकाना नहीं था, वह जमकर उपहार लुटा रहे थे। द्वापर युग की लीला गोकुल में जीवंत हो उठी।
तस्वीरों में देखें-मथुरा-वृंदावन की मनोहारी छटा मैया यशोदा को सुबह लाला के जन्म का पता चला, तो नंदबाबा के यहां आनंद हो गए। नंदभवन, नंद किला और नंद चौक की सजावट भी मन को लुभा रही थी। मंदिर में नंद परिवार के दर्शन कर भक्त हर्षित हो रहे थे। संतान पाकर नंदबाबा भी फूले नहीं समा रहे थे। उन्होंने लाला के आने की खुशी में दिल खोलकर मेवे, फल आदि लुटाए। सुबह दस बजे के लगभग नंदभवन से कृष्ण, बलराम, नंदबाबा, मैया यशोद, गोपी-ग्वाल, नर-नारी आदि की शोभायात्रा बैंडबाजों के साथ निकली। बैंड बाजों की धुन पर लाला के जन्म के बधाई गायन में श्रद्धालु भाव-विभोर होकर झूम रहे थे। शोभायात्रा में लाला की छीछी (हल्दी-दही का मिश्रण) लुटाई जा रही थी। जिस पर भी छीछी की बूंदें गिरतीं, वह अपने को धन्य समझता। लाला को झूला झुलाने की होड़ मची रही। शोभायात्रा के नंद चौक पहुंचने पर आस्था की थाह नहीं थी। आस-पास के घर और दुकानों की छत पर श्रद्धालु बैठे थे। उमस और गर्मी भी उनकी आस्था को डिगा नहीं सकी। नंदबाबा द्वारा लाला के आने की खुशी में मेवे, फल, लड्डू, कपड़े आदि उपहार के रुप में लुटाए जा रहे थे। जिसको भी यह उपहार मिल जाता, वह अपने को धन्य समझता। दोपहर तक नंदबाबा उपहार लुटाते रहे और भक्त लूटते रहे। सुधबुध खोए श्रद्धालु बस यही गा रहे थे 'नंद के आनंद भयै, जय कन्हैया लाल की।'
तस्वीरें- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर उल्लास में डूबी मथुरा
भक्तों की राह में बिछाए सेवा के फूल
मथुरा में सुबह से ही श्रद्धालुओं का रुख गोकुल की तरफ हो गया। गोकुल के हर मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ थी। समाज सेवियों ने भी भक्तों की राह में सेवा के फूल बिछा दिए। भंडारे, प्याऊ आदि लगाकर श्रद्धालुओं का आदर सत्कार किया गया।

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