गोवर्धन गिरिराज पर्वत पर कृष्ण लीलाओं की अद्भुत गाथा: रहस्य, रज और राधा... दिखती है कृष्णकाल की साक्षात झलक
गोवर्धन स्थित गिरिराज पर्वत श्रद्धा और इतिहास का अनूठा संगम है। यह राधाकृष्ण की लीलाओं का साक्षी है जहां शिलाएं अनेक रहस्यमयी घटनाओं की कहानियां कहती हैं। यहां इंद्र के मानमर्दन और श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं के अनेक चिह्न मिलते हैं। दाऊजी मंदिर में बलदाऊ जी शेर रूप में विराजमान हैं जहां भक्त अपनी पीड़ा लेकर आते हैं। मानसीगंगा पापों से मुक्ति दिलाती है।

संसू,जागरण, गोवर्धन। जो केवल श्रद्धा से नहीं, बल्कि दिव्यता और इतिहास से भी जुड़ा है, वो है गिरिराज पर्वत। द्वापरयुगीन स्मृतियों को समेटे यह पर्वतराज आज भी राधाकृष्ण की लीलाओं की मौन साक्षी बना है। इसकी शिलाएं न केवल भक्ति का प्रतीक हैं, बल्कि उन रहस्यमयी घटनाओं की सजीव कथा भी कहती हैं, जिनका साक्षी स्वयं ब्रह्मांड रहा है।
भगवान श्रीकृष्ण ने जब ब्रजवासियों की रक्षा के लिए इंद्र का मानमर्दन किया और गिरिराज को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर धारण किया, उसी क्षण यह पर्वत साधारण नहीं रहा। इंद्र, ऐरावत हाथी, सुरभि गाय, और गोकर्ण घोड़े के पदचिह्न आज भी गोवर्धन की शिलाओं पर देखे जा सकते हैं। यह न केवल श्रद्धा है, बल्कि इतिहास की जीवित छाया भी।
बाल लीलाओं की प्रतीक बनी शिलाएं
राधाकुंड से पूंछरी तक फैली गिरिराज पर्वतमाला में ऐसे दर्जनों स्थल हैं जहां श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की छाप मिलती है। कहीं मक्खन-मिश्री के बाद अंगुलियों के निशान तो कहीं राधा-कृष्ण के मधुर प्रेम की अमिट छापें। श्रद्धालु इन निशानों को नमन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं।
दाऊ दादा के दरबार में सबकी सुनवाई
दाऊजी मंदिर में बलदाऊ जी शेर के स्वरूप में विराजते हैं। ब्रजवासियों का मानना है कि अपनी हर पीड़ा वे सबसे पहले दाऊ दादा के दरबार में कहते हैं। और दाऊजी अपने दर से किसी को खाली नहीं लौटाते। यही आस्था इस धरती को अध्यात्मिकता की ऊंचाइयों पर ले जाती है।
विशेष स्थल
राधाकुंड–मातृत्व की मुरादों का पावन स्थल
अमेरिका, लंदन, रूस आदि देशों से महिलाएं यहां अहोई अष्टमी की रात स्नान कर मातृत्व सुख की कामना करती हैं। सूनी गोदों को राधारानी का आशीर्वाद संतान सुख का वरदान देता है। तमाम दंपति इसका उदाहरण हैं।
मानसीगंगा–मन से प्रकट पावन धारा
श्रीकृष्ण के मन से प्रकट हुई गंगा को मानसीगंगा कहा गया है। श्रद्धालु यहां स्नान कर अपने अपराधों के क्षमायाचना करते हैं। यहां का जल ब्रज की आत्मा को पवित्र करता है।
प्रेमगुफा–जहां अजब का अमर प्रेम बसता है
जतीपुरा स्थित श्रीनाथजी मंदिर के भीतर स्थित ‘प्रेमगुफा’ 700 किमी लंबी बताई जाती है, जो दो प्रदेशों को जोड़ती है। यह गुफा भक्त और भगवान के मिलन की वो कहानी कहती है, जिसे समय भी मिटा नहीं सका। अजब कुमारी के प्रेम के वशीभूत कान्हा ने इस गुफा का निर्माण कराया और रोजाना मिलने जाते थे।
अन्य स्थल
दानघाटी मंदिर – गोवर्धन परिक्रमा का प्रमुख आरंभ स्थल
कुसुम सरोवर – राधाकृष्ण के पुष्प प्रेम की गवाही
पूंछरी का लौठा – गिरिराजजी के चरम शिखर पर स्थित अद्भुत स्थान
संकर्षण कुंड, गोविंदकुंड, सुरभिकुंड, इंद्रपूजा स्थल, प्रेमगुफा, मुकुट मुखारविंद मंदिर, श्रीनाथजी मंदिर।
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